उत्तराखंड

बाल आश्रम में बच्चों के साथ हो रहा ऐसा सलूक, सुनकर रह जाएंगे दंग

देहरादून। कहते है बच्चे भगवान का रूप होते है। उनके साथ दुर्व्यव्यवहार करना भगवान के साथ बदसलूकी करने जैसा है। ‘बाल आश्रम’ जिसे हम अनाथ बच्चों का दूसरा घर भी कहते है, वह सिर्फ अब एक घर नहीं बल्कि बिज़नेस बनकर रह गया है।

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के औचक निरीक्षण में एक कड़वा सच सामने आया है। दरअसल, कड़वा पानी क्षेत्र में संचालित हो रहे हरि ओम आश्रम में तमाम खामियां पाई गईं है।

आयोग की टीम को बाल आश्रम में बच्चे बड़े-बड़े पतीले साफ करते और गोबर उठाते मिले। इस पर आयोग ने कड़ी आपत्ति जताई और व्यवस्थाएं दुरुस्त न करने पर आश्रम का पंजीकरण निरस्त कराने की चेतावनी भी दी।

बाल आश्रम, भगवान, उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण, गुरुकुल, businessउत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम अचानक हरि ओम आश्रम पहुंची। इस दौरान आयोग ने पाया कि आश्रम में बच्चों को बिना जिला बाल कल्याण समिति की अनुमति के रखा गया है, जो कानूनन अपराध है। इसके साथ ही 30 बालक, 27 बालिकाओं को एक ही परिसर में रखा गया था और एक बिस्तर पर तीन-तीन बच्चों को सुलाने की व्यवस्था की गई थी।

उधर, आश्रम में फैली इन अव्यवस्थाओं पर आयोग ने जब प्रबंधक से पूछताछ की, तो उन्होंने बहुत अटपटा सा जवाब दिया। उन्होंने कहा- ‘ गुरुकुल पद्धिति के हिसाब से बच्चों को तमाम व्यवस्थाएं स्वयं देखनी होती है।

आश्रम में बिजली भी व्यवस्था भी बदहाल पाई गई, जगह-जगह बिजली के स्विच और बोर्ड टूटी हालत में मिले। इससे बच्चों को करंट लगने का खतरा भी बना है। यहां तक कि खान-पान का इंतजाम भी आश्रम में मानकों के विपरीत पाया गया।

जंगल के बीच बिना चारदीवारी के है आश्रम

आयोग के सदस्यों के मुताबिक हरि ओम आश्रम जंगल के बीच है और इसमें चारदीवारी भी नहीं बनाई है। ऐसे में आयोग ने बच्चों को जंगली जानवरों से खतरा बताते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश भी जारी किए।

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