खेल

आखिर क्यों जीत के बाद खिलाड़ी मेडल को दांतों से काटते हैं

मैदान पर उतरने वाला हर खिलाड़ी जीत का दावा करता है। अक्सर मेडल जीतने के बाद खिलाड़ी अपनी खुशी का इजहार किसी दूसरे तरीके से करते हैं।

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कुछ खिलाड़ी मेडल जीतने की खुशी में ईश्वर को याद करते हैं और भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं लेकिन बहुत से खिलाड़ी पदक जीतने के बाद उसे दांतों तले दबाते हुए नजर आते हैं।

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दरअसल खिलाड़ी ऐसा इसलिए करते हैं कि ताकि मालूम हो जीता हुआ मेडल असली है। खेलों के जानकारों की मानें तो खिलाड़ी जीत के बाद अपनी खुशी को व्यक्त करने के लिए मेडल को दांतों से काटता है, क्योंकि गोल्ड मेडल को तुरंत अपने दांतों तले दबाते हैं, जिससे उन्हे सोने के असली नकली होनी का पता चल सके।

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माना जाता है कि सोने की पहचान अगर करनी है तो दांतों से दबाकर पता लगाया जा सकता है कि यह असली है या नकली है। ओलम्पिक में पहली बार इस प्रथा को एथेंस ओलम्पिक में देखने को मिला जब खिलाड़ी ऐसा करते देखे गए।

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हालांकि बाद में यह प्रथा साल 1912 के स्टॉकहोल्म ओलम्पिक में बंद हो गई थी। 2016 ओलंपिक्स के स्वर्ण पदक में इस्तेमाल हुआ सोना होता है सिर्फ 1.34 प्रतिशत खरा होता है। टेनिस के स्टार खिलाड़ी रफाल नडाल भी अक्सर अपनी ट्रॉफी को दांत से काटते नजर आ जाते हैं। कुल मिलाकर खिलाड़ी स्वर्ण पदक को जांचने के लिए ऐसा करते हैं।

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