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देश का प्रत्यक्ष विक्रय उद्योग 2021 तक 159.3 अरब रुपये

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)| देश का प्रत्यक्ष विक्रय उद्योग साल 2011 से करीब दोगुना हो गया है और साल 2016 में यह 126.6 अरब रुपये रहा। इसके साल 2021 में 159.3 अरब रुपये होने की उम्मीद है, जिसकी चक्रवृद्धि सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) 4.8 फीसदी है। उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा मंगलवार को जारी एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई। इस अध्ययन में कहा गया है कि भारत में हर भागीदार की सालाना औसत बिक्री करीब 300 डॉलर की रही।

अध्ययन में कहा गया है, प्रत्यक्ष बिक्री के अवसरों को भारत में बढ़ाया जा सकता है, बशर्ते एक अनुकूल वातावरण का निर्माण हो, जो नियामक ढांचे के भीतर सभी हितधारकों की रक्षा करे।

वित्त वर्ष 2015-16 में देश बाजार के आकार के हिसाब से दुनिया भर में भारत की रैकिंग में दो पायदान का सुधार देखा गया और यह 20वें स्थान पर रहा। इस खंड के दुनिया के तीन बड़े बाजार अमेरिका, चीन और कोरिया हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2015-16 में उद्योग में वैश्विक खुदरा बिक्री ने 183 अरब डॉलर का नया रिकार्ड बनाया। दुनिया भर में करीब 80 फीसदी देशों में बिक्री में वृद्धि हुई और उद्योग में शामिल लोगों की संख्या में वृद्धि हुई।

इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि साल भर में पर्याप्त वृद्धि के साथ और भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान करने के कई तरीकों के बावजूद, इस उद्योग के बारे में गलत धारणा व्याप्त है और इसकी कारोबारी गतिविधियों के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है।

अध्ययन में कहा गया है, इसका प्रमुख कारण नेटवर्किं ग और योजनाएं हैं, जिसके माध्यम से प्रत्यक्ष बिक्री की जाती है। ज्यादातर मामलों में (बेशक जहां विश्वसनीय संस्थाएं/प्रमोटर्स शामिल हैं) ऐसे नेटवर्क मार्केटिंग योजनाओं का मतलब कारोबार का विस्तार होता है। हालांकि भारत में ऐसी कई बेईमान योजनाएं भी देखी गई हैं, जहां लोगों ने पैसा, विश्वसनीयता, इज्जत और आजीविका खो दी है।

अध्ययन में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2015-16 में किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, अनुमान है कि पिछले पांच वर्षो में इस उद्योग से करीब पांच लाख लोगों को लाभ हुआ।

इस अध्ययन में राज्यस्तर पर दिशा-निर्देशों को लागू करने की सिफारिश, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में छूट, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक कानून लागू करने तथा क्षेत्र के लिए स्थायी परिचालन का वातावरण बनाने की सिफारिश की गई है।

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