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कोर्ट ने खारिज की मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका, अब जेल में मनेगी दिवाली

नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में सिसोदिया की कथित भूमिका की सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके बावजूद अगर सुनवाई धीमी गति से आगे बढ़ती है तो सिसोदिया फिर से जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई के बाद 17 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को SC में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता राघव चड्ढा की याचिका पर भी सुनवाई है। राघव ने राज्यसभा से अनिश्चितकाल के लिए निलंबित किए जाने के खिलाफ याचिका दाखिल की है। प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने 16 अक्टूबर को चड्ढा की याचिका पर राज्यसभा सचिवालय से जवाब देने को कहा था। अदालत ने इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी से सहायता भी मांगी है।

मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई और ईडी ने केस दर्ज कर रखा है। वह फरवरी से जेल में बंद हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के दौरान सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ करप्शन का कोई मामला नहीं बनता है। सीबीआई के आरोप में अपराध का कोई संकेत नहीं है और करप्शन का कोई आरोप पुख्ता नहीं है। इस तरह देखा जाए तो ईडी का मामला भी नहीं बनता है।

इस दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल से सवाल किया था कि अगर रिश्वतखोरी के मामले में अपराध के संकेत नहीं है तो फिर पीएमएलए का केस साबित करना मुश्किल है। ईडी और सीबीआई के वकील से सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि पूर्वानुमान के आधार पर आप चल नहीं सकते हैं।

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