Uncategorized

माइक्रोफाइनेंस उद्योग की वृद्धि दर 18 फीसदी

नई दिल्ली, 13 सितम्बर (आईएएनएस)| सा-धन की ‘भारत माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट-2017’ के मुताबिक, स्मॉल फाइनेंस बैंक बन चुके छह बड़े एमएफआई को छोड़कर भारतीय माइक्रोफाइनेंस उद्योग ने 18 फीसदी की दर से वृद्धि की है।

31 मार्च, 2017 तक भारत में माइक्रोफाइनेंस उद्योग का कुल लोन पोर्टफोलियो 46,842 करोड़ रुपये रहा। 2015-16 में उद्योग का कुल मूल्यांकन 63,853 करोड़ रुपये रहा जहां छह बड़े एमएफआई ने 24,034 करोड़ रुपये का योगदान दिया।

भारत माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट, 2017 के बारे में सा-धन के कार्यकारी निदेशक पी. सतीश ने बुधवार को कहा, पिछले वित्त वर्ष के दौरान आई बाधाओं के बावजूद इस क्षेत्र ने सकारात्मक वृद्धि की है। आने वाले वर्ष क्षेत्र के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित होंगे क्योंकि बड़े एमएफआई के पास स्मॉल फाइनेंस बैंक या बैंकों में तब्दील होने की संभावना है और नई कंपनियां इस क्षेत्र में प्रवेश कर रही हैं। एमएफआई समाज के पिछड़े तबकों को गरीबी से बाहर लाने और उनकी आर्थिक आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है।

पी. सतीश ने उम्मीद जाहिर की कि अगले वर्ष विकास दर 30 फीसदी तक रह सकती है।

भारत माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट, 2017 के मुताबिक, छह स्मॉल फाइनेंस बैंक (एसएफबी) से अलग 31 मार्च, 2017 तक एमएफआई के ग्राहकों की कुल संख्या 2.95 करोड़ रही। 2015-16 में अकेले छह एसएफबी के पास कुल 3.99 करोड़ ग्राहकों में से 1.3 करोड़ ग्राहक थे। 2016-17 में संख्या के आधार पर ग्राहकों की पहुंच 3.99 करोड़ से कम होकर 2.95 करोड़ रह गई लेकिन वास्तव में एमएफआई के तौर पर छह एसएफबी के बाहर चले जाने पर 10 फीसदी की वृद्धि हुई है।

2005 से 2011 के बीच एमएफआई की ग्राहकों तक पहुंच काफी तेजी से बढ़ी है और यह 3.17 करोड़ के स्तर तक पहुंच गई। 2012 और 2013 के दौरान इस रुझान में मंदी आई और ग्राहकों की संख्या गिरकर 2.75 करोड़ रह गई। 2014 में एक बार फिर इस रुझान में बदलाव आया और ग्राहकों की संख्या 3.3 करोड़ तक पहुंच गई। 2016 में यह रुझान जारी रहा जिसकी वजह से ग्राहकों की संख्या 3.99 करोड़ के अब तक के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया।

दुनिया भर में माइक्रोफाइनेंस का मुख्य ध्यान महिलाओं को सेवाएं देने की ओर रहा है। भारत में क्रेडिट मुहैया कराने के एक विकल्प के तौर पर माइक्रोफाइनेंस अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को बड़े पैमाने पर सेवाएं देता है। एमएफआई के कुल ग्राहकों में महिला ग्राहकों की हिस्सेदारी करीब 96 फीसदी है। ठीक इसी तरह एससी/एसटी समुदाय के लोगों का भी ग्राहकों में 20 फीसदी हिस्सा है।

पहली बार 2016-17 में व्यक्तिगत बैंक खातों और बीपीएल धारक ऋण लेने वालों के आंकड़े जुटाए गए। व्यक्तिगत बैंक खाते वाले ऋण लेने वालों की संख्या 22 फीसदी और बीपीएल कार्डधारक ऋण लेने वालों की संख्या 11 फीसदी है।

रिपोर्ट के मुताबिक, आय बढ़ाने वाले ऋण मुख्य रूप से कृषि, पशुधन और कारोबार में दिए गए। आय न बढ़ाने वाले ऋणों का उपयोग उपभोग, हाउसिंग, शिक्षा, जल एवं स्वच्छता, स्वास्थ्य क्षेत्र में दिया गया। 2015-16 के मुकाबले आय न बढ़ाने वाले ऋणों में 2016-17 के दौरान जबरदस्त तेजी देखने को मिली।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close