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ठिंगना बना सकती है ग्लोबल वार्मिंग

न्यूयॉर्क | ग्लोबल वार्मिग का असर हमें ठिंगना बना सकता है। समय के साथ हमारे कद की लंबाई पर यह असर डाल सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि अतीत में स्तनधारियों ने ग्लोबल वार्मिग के बढ़े प्रभाव की प्रतिक्रिया में अपने आकार को सिकोड़ लिया था। पहले भी स्तनधारियों के बौनेपन को बड़ी ग्लोबल वार्मिग की घटनाओं से जोड़ा गया है। नए शोध में पता चला है कि यह इस तरह घटना विकासात्मक प्रक्रिया हो सकती है।
इन निष्कर्षो से मौजूदा मानव पर जलवायु परिवर्तन के संभव प्रभाव को समझने में मदद मिल सकती है। न्यू हैम्पशायर विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता छात्र अबीगैल डी अम्ब्रोसिया ने कहा, “हम जानते हैं कि पैलियोसीन-इओसीन में अधिकतम तापमान 9 से 14 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ता है, और कुछ स्तनधारी समय के साथ 30 फीसदी तक सिकुड़ते हैं। इसलिए हम देखना चाहते हैं कि क्या इस प्रक्रिया को अन्य वार्मिग घटनाओं के दौरान दोहराया गया है।”
डी अम्ब्रोसिया ने कहा, “हमें उम्मीद है कि इससे हमें आज के ग्लोबल वार्मिग के संभावित प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी।” शोध का प्रकाशन पत्रिका ‘साइंस एडवांसेज’ में किया गया है। इसमें शोधकर्ताओं ने अमेरिका के वायोमिंग के जीवाश्म वाले क्षेत्र बिघोर्न से दांत और जबड़े के अवशेष एकत्र किए हैं। शोधकर्ताओं ने शरीर के आकार को जानने के लिए मोलर दांत का अध्ययन किया।

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