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बंगाल में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

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कोलकाता | पश्चिम बंगाल में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया। इस अवसर पर बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में 1952 में बांग्ला भाषा के लिए अपनी जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी गई।  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्विटर पर बांग्ला भाषा में किए गए अपने एक ट्वीट में प्रत्येक भाषा की महत्ता पर जोर दिया।
ममता ने अपने ट्वीट में लिखा, “हर भाषा एक समान है। मातृभाषा को विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम होना चाहिए। बांग्ला भाषा के लिए जान गंवाने वाले शहीदों को नमन करती हूं।” ममता ने अपने ट्वीट में प्रसिद्ध गीत ‘एकुशेर गान’ का जिक्र किया। 1952 के शहीदों को समर्पित यह गीत बांग्लादेश में जन्मे ब्रिटिश लेखक अब्दुल गफ्फार चौधुरी ने लिखा था।
बांग्लादेश के उप उच्चायोग के कर्मचारियों ने प्रभात फेरी निकाली। उन्होंने यही गीत गाते हुए पार्क सर्कस का चक्कर लगाया। शहर के स्कूलों ने रैलियां भी निकालीं। इस अवसर पर स्थानीय टेलीविजन चैनलों और रेडियो स्टेशनों में विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण भी किया गया।
1948 में पाकिस्तान ने पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान में उर्दू को आधिकारिक भाषा घोषित कर दिया था। आज का बांग्लादेश उस समय पूर्वी पाकिस्तान था। यहां बंगाली बहुसंख्यक थे। इस घोषणा के खिलाफ पूर्वी पाकिस्तान में बंगालियों ने जोरदार प्रदर्शन किया था।
21 फरवरी 1952 को छात्रों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था। पुलिस की गोलीबारी में कई प्रदर्शनकारी मारे गए थे। आखिरकार पाकिस्तान सरकार ने बांग्ला भाषा को भी समान दर्जा देने की घोषणा की थे।  इसके बाद से ही प्रतिवर्ष इस दिन को ‘भाषा शहीदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।  साल 1999 में यूनेस्को ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया।

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