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रायपुर में  विलुप्त हो रही पक्षियों का हो रहा शिकार

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रायपुर | छत्तीसगढ़ की राजधानी से लगे गांवों में जिन पक्षियों को मारने के लिए शिकारियों ने फंदा बिछा रखा था, उन्हें पशु-पक्षियों का संरक्षण करने वाली विश्व स्तरीय संस्था इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ने लुप्तप्राय घोषित कर रखा है। पक्षी विशेषज्ञ अनुभव शर्मा ने बताया, “बरबंदा-मटिया और मांढर पहुंचने वाले पक्षियों में फेरुजीनस प्रजाति के पक्षी भी शामिल हैं। यह प्रजाति यूरोप और मध्य एशिया में ठंड आने पर रायपुर पहुंचती है। उसे लुप्तप्राय श्रेणी में रखा गया है। विश्व में इसकी संख्या कम ही बची है।”
मंडल वन अधिकारी (डीएफओ) एम. मर्सी बेला ने बताया कि वन विभाग की टीम मांढर, मटिया, बरबंदा सहित आसपास के जलाशयों का दौरा कर रही है। इनसे जुड़े गांवों में शिकारियों को पकड़ने के लिए अब लगातार दबिश देगी। अनुभव शर्मा के मुताबिक, बड़ी मात्रा में वूली नेक स्टर्क, ब्लैक हेडड आईबीस, पेंटेंड स्टर्क और ओरिएंटल डार्टर नामक कई पक्षी बरबंदा और आसपास के तालाबों में जमा होते हैं। लगातार शिकार से इनकी संख्या में पिछले साल से 10 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है।
वर्ड वाचर जीतेंद्र जैन ने बरबंदा और जलाशयों में जमा पक्षियों का अध्ययन किया है। उनका कहना है, “तालाब में आधे घंटे से कम समय पर अस्सी से ज्यादा प्रजातियां आसानी से दिखाई पड़ जाती हैं। सभी पानी और उथले पानी में कीट और मछली तलाशते हैं। यहां दिख रहे दो आकार के फंदों से साफ है कि शिकारी छोटे और बड़े दोनों पक्षियों के लिए जाल बिछा रहे हैं।”

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