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इस दिन से शुरू हो रहा है सावन का महीना, जाने कांवड़ यात्रा से जुड़ी कुछ खास बातें

हिंदू धर्म में सावन के सोमवार का विशेष महत्व है। लोग बड़े ही श्रद्धा के साथ सवान के सोमवार को मनाते है। वैसे तो पूरे देश में लोग सवान में महादेव की पूजा करते है, लेकिन हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश के लोगों में इसे लेकर काफी आस्था है। शास्त्रों के अनुसार, श्रवण मास में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने वालों की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।

इस साल भगवान शिव का प्रिय महीना सावन 14 जुलाई से शुरू होने वाला है जो कि 12 अगस्त तक रहेगा। इस बार सावन के चार सोमवार व्रत पड़ रहे हैं। सावन के सोमवार का पहला व्रत 18 जुलाई को है। दूसरा सोमवार व्रत 25 जुलाई, तीसरा 8 अगस्त और चौथा 16 अगस्त को है। सावन के हर सोमवार में बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त इस महीने कांवड़ लेने भी जाते हैं। इस वर्ष 14 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू होगी। इस दौरान श्रद्धालु गंगा नदी से जल भरकर शिव मंदिर पहुंचते हैं और शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। इस दौरान भगवान शिव की प्रिय चीजें भी शिवलिंग पर चढ़ाई जाती हैं।

आइए जानते हैं कांवड़ यात्रा से जुड़ी कुछ खास बातें-

कांवड़ के प्रकार

झूला कांवड़

 

officer meeting for kanwar yatra

भगवान शिव के ज्यादातर भक्त झूला कांवड़ लेकर आते हैं। बच्चे, बूढ़े और महिलाएं भी यह कांवड़ आसानी से लेकर आ जाते हैं। झूला कांवड़ की खासियत ये है कि इसे आप स्टैंड या पेड़ पर रखने के बाद आराम कर सकते हैं। हालांकि आराम या भोजन करने के बाद कांवड़ उठाने के लिए आपको पुन: शुद्ध होना पड़ेगा।

खड़ी कांवड़

कांवड़ यात्रा

भगवान शिव के बहुत से भक्तखड़ी कांवड़ लेकर चलते हैं। यह झूला कांवड़ से मुश्किल होती है। आमतौर पर खड़ी कांवड़ किसी सहयोगी की मदद से लाई जाती है। कांवड़ लाने वाला इंसान जब आराम करता है तो उसका सहयोगी कंधे पर कांवड़ लिए खड़ा रहता है।

डाक कांवड़

कांवड़ यात्रा

डाक कांवड़ सबसे मुश्किल कांवड़ मानी जाती हैं। इसमें भक्तों को एक निश्चित समय के भीतर हरिद्वार से जल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करना होता हैं। डांक कावड़ 14, 16 18 या 20 या इससे ज्यादा घंटे की हो सकती है। इसमें भक्तों को तय समय के भीतर ही शिवलिंग पर जल चढ़ाना पड़ता है। इसमें कांवड़ यात्रा में भगवान शिव के हरिद्वार से दौड़ते हुए भगवान शिव के मंदिरों में पहुंचते हैं। डाक कांवड़ लेकर चलने वाले शख्स यदि रुक जाए या उसके हाथ से कांवड़ छूट जाए तो वो खंडित मानी जाती है।

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