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गलत जीवनशैली से आप हो सकते हैं ओस्टियोपोरोसिस के शिकार, जाने कैसे दूर करे इसके खतरे को

ओस्टियोपोरोसिस एक हड्डियों से जुड़ा रोग है।  इस रोग में  व्यक्ति की हड्डियां कमजोर और फ्रेक्‍चर होने लगती हैं। आपका लाइफस्टाइल भी ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम का जिम्मेदार हो सकता है। एक शोध में ये पता चला है कि विश्वभर में हर 3 सेकंड में एक ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर होता है। इसलिए इस साइलेंट डिजीज के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता बढ़ाना बहुत ज़रूरी है। अगर इसका समय से इसका इलाज नहीं कराया जाएगा तो स्थिति और भी ज्याद गंभीर हो जाएगी जिससे इलाज में भी कठिनाई होगी।

जानिए ऑस्टियोपोरोसिस को बढ़ाने वाले कारण

उम्र बढ़ने के साथ बढती है समस्या

उम्र शरीर की एक कुदरती क्रिया है, जो धीरे धीरे बढती रहती है। उम्र बढ़ने के साथ साथ पुरानी हड्डी की कोशिकाएं टूट जाती हैं और हड्डी की नई कोशिकाएं बन जाती हैं। जैसे ही कोई व्यक्ति अपने 30 के दशक में पहुँचने पर शरीर तेजी से हड्डी तोड़ना शुरू कर देता है, क्योंकि यह तभी इसे बदलने में सक्षम है। ऐसे में ये देखा गया है कि 50 साल से ज्यादा के उम्र के लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा ज्यादा होता है।

हार्मोन के लेवल में बदलाव

हार्मोन के लेवल में बदलाव होने की वजह से ऑस्टियोपोरोसिस पोस्टमेनोपॉज़ल का महिलाओं में ज्यादा होने का खतरा बना रहता है। ज्यादातर ऐसा देखा गया है कि 45 से 55 साल की उम्र की महिलाएं को हड्डियों में दर्द और हड्डियों के फ्रेक्‍चर का खतरा ज्यादा होता है। पुरूषों की तुलना में महिलाओं को इस रोग का खतरा ज्यादा रहता है।

पारिवारिक कारण

अगर परिवार के किसी व्यक्ति को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या है, तो इस बीमारी के बढ़ने का जोखिम बढ़ जाता है। अगर व्यक्ति के माता-पिता में से किसी को फ्रैक्चर हिप की समस्या रही हो तो जोखिम और ज्यादा हो जाता है।

संतुलित आहार

आपके खानपान का तरीका भी ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या के लिए जिम्‍मेदार हो सकता है। क्‍योंकि जिन लोगों के शरीर में कैल्शियम की कमी होती है, उनमें ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना तुलनात्मक रूप से ज्यादा होती है। इसके साथ कम वजन वाले या दुबले लोगो में इस बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है। इसके अलावा जिन लोगों में गैस्ट्रोइंटेस्टिनल सर्जरी हुई है उन लोगो को हड्डियों के रोग की संभावना विकसित होने का जोखिम ज्यादा होता है।

अधिक दवाओं का सेवन

कॉर्टिकोस्टेरॉइड के लंबे समय तक संपर्क में हड्डियों के पुनर्निर्माण की शरीर की क्षमता पर काफी असर पड़ सकता है। इस प्रकार, कोर्टिकोस्टेरोइड लेने वाले रोगियों में ऑस्टियोपोरोसिस विकसित होने की संभावना ज्यादा हो जाती है। जिन दवाओं का इस्तेमाल गैस्ट्रिक रिफ्लक्स, सीज़र्स और कैंसर को रोकने और इलाज करने के लिए किया जाता है, उनमें ऑस्टियोपोरोसिस के विकास के जोखिम का खतरा ज्यादा होता है।

लाइफस्टाइल में बदलाव

बदलते वक़्त के साथ लोगो का लाइफस्टाइल भी काफी बदलता जा रहा है। आपका लाइफस्टाइल भी ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम का जिम्मेदार हो सकता है। इनमें आपका सक्रिय न रहना, गतिहीन जीवन शैली, शराब का ज्यादा इस्तेमाल, धूम्रपान करना, तंबाकू का इस्तेमाल करना और संतुलित आहार का सेवन नहीं करने के कारण ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।

शराब का सेवन

वह महिलाएं जो धूम्रपान करती हैं या शराब का सेवन करती हैं और गतिहीन जीवन शैली को अपनाती हैं, उन महिलाओं में यह गुर्दे की बीमारियों और गठिया के रोगियों का भी संकेत हो सकता है।

जाने कैसे करें ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज 

  • ऑस्टियोपोरोसिस में आप उपचार करके हड्डी के फ्रैक्चर पर रोक लगायी जा सकती है।
  • जबकि डॉक्‍टर रोगियों में हड्डियों के टूटने की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए कुछ दवाओं का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। इ
  • सके साथ ही हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल में परिवर्तन करने की सलाह भी दे रहे हैं।
  • इसके उपचार में आपको रोजाना एक्सरसाइज़ और कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
  • हड्डियों को मजबूत रखने के लिए आपको अपने आहार में कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर आहार का सेवन जरूर करना चाहिए।
  • इसके अलावा, कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ दूध, दही और हरी पत्तेदार सब्जियों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए।
  • सूर्य के प्रकाश के संपर्क में जरूर आना चाहिए क्योंकि सूर्य के प्रकाश से विटामिन डी प्राप्त होता है।
  • इसके साथ ही रोजाना एक्सरसाइज़, तनाव को दूर करने के लिए योगासन और शराब का सीमित सेवन भी हड्डियों को मजबूत रखने में काफी कर सकता है।
रिपोर्ट – श्वेता वर्मा 
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