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इस बड़ी कंपनी के विनिवेश से लौटेगी बाज़ार में रौनक, तैयारी में मोदी सरकार

भारत सरकार पेट्रोलियम ईंधन का खुदरा व्यापार करने वाली भारत देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी भारतीय पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) को निजी हाथों में देने के प्रस्ताव पर आगे कदम बढ़ाना चाहती है। भारत सरकार बीपीसीएल को प्राइवेट सेक्टर की देशी-विदेशी कंपनियों को बेचने के प्रस्ताव पर सोच-विचार कर रही है। लेकिन बीपीसीएल का निजीकरण करने के लिए संसद की अनुमति लेना बहुत जरूरी है।

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चुने हुए साझेदार को बेचने का फैसला

मोदी सरकार पेट्रोलियम ईंधन के खुदरा बाजार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाना चाहती है जिससे बाजार में प्रतिद्वंद्विता में बढ़ोत्तरी हो। इस प्रस्ताव को आगे बढाने के लिए सरकार बीपीसीएल में अपना 53.3 प्रतिशत में से एक बड़ा हिस्सा किसी चुने हुए साझेदार को बेचने का फैसला करने वाली है।

खुदरा बाजार में देखने को मिल सकता है एक बड़ा बदलाव

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के विनिवेश से ईंधन के खुदरा बाजार में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है और साथ ही

इस निवेश से भारत सरकार को चालू वित्त वर्ष में 1.05 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का एक तिहाई लक्ष्य हासिल करने में भी काफी मदद मिलेगी।

सरकारी कंपनियों का प्रभुत्व

फिलहाल इस समय भारत में सरकारी कंपनियों का प्रभुत्व है। भारतीय पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के बाजार का पूंजीकरण 27 सितंबर के दिन बाजार बंद होने के वक्त 1.02 लाख करोड़ नोट किया गया था। इस प्रकार कंपनी में केवल 26 प्रतिशत भागीदार को बेचने पर सरकार को 26,500 रुपये के साथ नियंत्रण और बाजार प्रवेश प्रीमियम के रूप में 5,000 से 10,000 करोड़ रुपये तक प्राप्त होंगें।

संसद की स्वीकृति की होगी आवश्यकता

भारतीय पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के निजीकरण के लिए संसद की स्वीकृति की आवश्यकता होगी। सुप्रीमकोर्ट ने सितंबर, 2003 में घोषणा की थी कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (HPCL) का निजीकरण सरकार कानून में संशोधन करने के बाद ही कर सकती है। संसद ने ही पहले इन दोनों कंपनियों के राष्ट्रीयकरण के लिए कानून लागू किया था।

दोनों कंपनियों के निजीकरण की थी प्लानिंग

सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले से पहले अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने दोनों कंपनियों के निजीकरण की प्लानिंग की थी। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद एचपीसीएल में सरकार की अपनी 51.1 प्रतिशत भागेदारी में से 34.1 प्रतिशत हिस्सा रणनीतिक हिस्सेदार को प्रबंधकीय नियंत्रण के साथ बेचने की प्लानिंग रुक गई थी।

इन कंपनियों ने भागेदारी की जताई इच्छा

उस दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज, ब्रिटेन की बीपी पीएलसी, कुवैत पेट्रोलियम, मलेशिया की पेट्रोनास, शेल-सऊदी अरामको गठजोड़ तथा एस्सार आयल ने एचपीसीएल की भागेदारी लेने की आकांक्षा जताई थी। सऊदी अरब की सऊदी अरामको और फ्रांस की ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज टोटल एसए के लिए बीपीसीएल का अधिग्रहण एक आकर्षक सौदा हो सकता है क्योंकि दोनों ही कंपनियां दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते ईंधन के खुदरा व्यापर बाजार में उतरने की तयारी कर रही हैं।

रिपोर्ट – श्वेता वर्मा 

 

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