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उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग, वन विभाग की मदद में जुटे ग्रामीण

पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जिलों में सामने आए सबसे ज़्यादा वनाग्नि के मामले

तापमान बढ़ने के कारण गढ़वाल और कुमाऊं के जंगल आग से सुलगने लगे हैं। जंगलों में फैली आग को वन विभाग की टीम बुझाने में जुटी है, लेकिन कठिन रास्ता होने के कारण वन विभाग को तेज़ी से आग बुझाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

उत्तराखंड के गोपेश्वर रेंज में रेंजर आरती मैठाणी ने बताया ,” पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जिलों के  जंगलों में वनाग्नि के मामले ज़्यादा सामने आ रहे हैं। अभी जंगलों में आग लगने का मुख्य कारण नहीं पता चल पाया है। वन विभाग की टीम आग बुझाने के लिए स्थानीय गांवों के ग्रामीणों की मदद ले रही है।”

उत्तराखंड वन विभाग के अनुसार पिछले दस वर्षों में औसतन 3,000 हेक्टेयर वन जले हैं। इनमें सबसे अधिक मामले चीड़ के जंगलों में देखने को मिले। राज्य में करीब एक लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले वन प्रभाग के 14,000 हेक्टेयर में अकेले चीड़ के जंगल हैं। ऐसे में बढ़ते तापमान के कारण जंगलों में आग लगने के मामले अधिक सामने आ सकते हैं।

जंगलों में फैल रही आग को बुझाने में जुटे वन विभाग के कर्मचारी और स्थानीय ग्रामीण। ( फोटो- गूगल इमेज)

बुधवार को उत्तराखंड के गढ़वाल के कनेरी क्षेत्र के जंगलों में आग फैल गई। यह आग तेज़ी से फैलती गई और बढ़कर डिडोली,  और नंदप्रयाग के जंगलों तक फैल गई। जलते हुए जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए गोपेश्वर रेंज वन अधिकारी आरती मैठाणी के नेतृत्व में 14 सदस्यीय टीम मौके पर आग बुझाने में जुटी हुई है।

आग पर काबू पाने के लिए हो रहे कार्य के बारे में प्रमुख वन संरक्षक, उत्तराखंड जय राज बताते हैं,” जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग की ओर से कल ही टीमों को रवाना कर दिया गया था। कुछ जगहों पर टीमें अभी तक काम में लगी हुई हैं।”

आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच चुकी है। उधर कुमाऊं के पिथौरागढ़ जिले में डीडीहाट और धारचूला के जंगल भी आग की चपेट में आ गए हैं। तपिश के कारण आग मुनस्यारी तहसील की रामगंगा नदी से सटे हुए जंगलों में भी पहुंच चुकी है।
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