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रेप पीड़िता का कोर्ट में चौंकाऊ बयान– खुद प्राइवेट पार्ट में डाला था वीर्य

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में रेप के एक मामले में बेहद चौंकाने वाली चीज सामने आई हैं। रेप के एक मामले की सुनवाई में कोर्ट ने युवक को दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई है। हालांकि रेप पीड़ित युवती और उसके पिता ने दोषी व्यक्ति को बचाने के लिए उसके पक्ष में बयान दिया था।

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 में पीड़ित लड़की की उम्र 14 साल थी। पेट दर्द की शिकायत पर उसकी जांच कराई गई। जांच में पता चला कि वो गर्भवती है। कोर्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक, डायग्नोस्टिक सेंटर के डॉक्टर ने मामले की जानकारी पुलिस को दी। इसके बाद रेप और पॉक्सो एक्‍ट के तहत केस लिखा गया। शुरुआत में लड़की ने आरोप लगाया कि उसकी सौतेली मां के भाई ने सेक्‍शुअल हैरासमेंट किया था।
पीड़िता ने कहा कि … हालांकि,मजिस्ट्रेट और अदालत में उसके बयान के दौरान, लड़की ने कहा कि उसे नहीं पता था कि उसके साथ क्या हुआ था, और वह उस समय गहरी नींद में थी। उसने आगे कहा कि अभियुक्त ने उससे कुछ भी नहीं किया है, और उसने खुद वीर्य को ‘जिज्ञासा के कारण’ अपने निजी हिस्सों में डाला था।

आरोपी के वकील ने कहा… अदालत के दस्तावेजों के मुताबिक, फोरेंसिक रिपोर्ट में पाया गया कि भ्रूण से पैदा हुआ डीएनए, लड़की और आरोपित के जैविक बच्चे से मिलता था। अतिरिक्त सरकारी अभियोजक ने कहा कि हालांकि पीड़ित ने मामले का समर्थन नहीं किया था, लेकिन एक ‘संभावना’ थी कि वह प्रभावित हो रही थी। हालांकि आरोपित के वकील ने तर्क दिया कि अभियुक्त बरी किए जाने का हकदार है क्योंकि पीड़ित ने उसे ‘क्लीन चिट’ दे दी है।

जज ने कहा- यह हो ही नहीं सकता दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रूबी अल्का गुप्ता ने कहा कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि पीड़ित ,आरोपित के वीर्य से गर्भवती थी। अदालत ने यह भी कहा कि यह ‘अकल्पनीय’ है कि 14 वर्षीय लड़की वीर्य उठाएगी और उसे अपने निजी हिस्सों में डाल देगी
एएसजे ने कहा कि पीड़ित और उसके पिता दोनों ने अदालत में झूठ बोला था। अदालत के मुताबिक, पिता ने पीड़िता के जन्म की तारीख बिना किसी सबूत के गलत बताई। ऐसा करने का एकमात्र कारण यह है कि वह आरोपी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। जांच के दौरान स्पष्ट है कि वह तथ्यों को छुपा रहे हैं। वो खुले तौर पर झूठ बोल रहे हैं। अदालत ने कहा कि पीड़ित के पिता को जाहिर तौर पर आरोपित की ओर से परेशान किया गया है।

कोर्ट ने कहा कि दोनों गवाह, लड़की और उसके पिता ‘स्पष्ट रूप से’ झूठ बोल रहे हैं और सच्चाई छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। अदालत ने फोरेंसिक रिपोर्ट को ध्यान में रखकर अभियुक्त को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।

 

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