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नेहरा को भुवी की वजह से छोड़ना पड़ा क्रिकेट!

 

सैय्यद मोहम्मद अब्बास

लखनऊ। भारतीय क्रिकेट टीम इस समय प्रचंड फॉर्म में चल रही है। विराट कोहली की टीम अपनी धरती पर बेहद खतरनाक दिख रही है। कंगारुओं को धूल चटाने के बाद कीवियों को भी चित कर दिया है। वन डे में न्यूजीलैंड की टीम ने थोड़ा संघर्ष किया लेकिन सीरीज जीतने में कामयाब नहीं रही। वन डे के बाद न्यूजीलैंड की टीम टी-20 में जीत की दावेदारी पेश कर रही है लेकिन टी-20 में टीम इंडिया ने पहली बार न्यूजीलैंड को हराकर शृंखला में शानदार शुरुआत की है। दिल्ली में खेला गया यह मुकाबला एक खिलाड़ी के लिए बेहद यादगार बन गया। दरअसल आशीष नेहरा ने क्रिकेट के हर फॉर्मेट से किनारा करते हुए संन्यास ले लिया है। अपने अंतिम मैच में भले आशीष नेहरा ने कोई विकेट नहीं लिया हो लेकिन उनका हौसला मैदान पर देखते ही बनता था।

नेहरा ने टीम का पहला ओवर डालने के आलावा अंतिम ओवर भी डाला। नेहरा के संन्यास को लेकर कई बाते सामने आ चुकी है। फिटनेस के मामले में नेहरा का कोई जवाब नहीं है लेकिन नेहरा ने अपने संन्यास के पीछे की कहानी यानी संन्यास की असली वजह भुवी को बताकर सबकों चौंका दिया है। दरअसल नेहरा नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से भुवी का विकेट गिरे। पूर्व तेज गेंदबाज आशीष नेहरा के अनुसार उनकी वजह से भुवी टीम इंडिया से अंदर और बाहर होते थे।

नेहरा के अनुसार जब भी वह टीम में होते थे, उसकी वजह से भुवी को टीम में जगह नहीं मिलती थी। विकेट ेके दोनों ओर स्विंग कराने में माहिर नेहरा ने बताया कि हाल के दिनों में उनको इस बात का एहसास था कि वह अपने करियर के अंतिम दौर में है। इतना ही नहीं उनकी गेंदबाजी में अब उतना पैना पन नहीं रहा। नेहरा ने इसी वजह से संन्यास का मन बना लिया था।

पूर्व तेज गेंदबाज को इल्म हो गया था कि टीम इंडिया में अब भुवी और बुमराह जैसे प्रतिभावान खिलाड़ी है जो भारतीय गेंदबाजी को शानदार तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे में नेहरा ने सही समय देकर संन्यास लेने का फैसला कर लिया। नेहरा की मानें अंतिम मैच भाग्य से मेरे होम ग्राउंड पर आ गया। विदाई मैच को लेकर दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर हलचल देखी जा सकती थी।

पूरा मैदान आशीष नेहरा के रंग में रंगा हुआ था। पूरा परिवार नेहरा के साथ था। नेहरा ने कहा कि देश के लिए 8-10 वर्षो में जो काम किया उसक फल मुझे मिला गया। नेहरा ने कहा मैंने संन्यास के लिए कोहली और मुख्य कोच रवि शास्त्री को बताया था, लेकिन चयनकर्ताओं से मेरी बात नहीं हुई थी। मैंने जब क्रिकेट खेलनी शुरू की थी तो चयनकर्ता से पूछ के शुरू नहीं की थी और अब छोड़ भी रहा हूं तो किसी से पूछ के नहीं छोड़ रहा हूं। नेहरा का पूरा क्रिकेट करियर चोटों से जूझता रहा है।

नेहरा ने 1999 में दिसम्बर में श्रीलंका के खिलाफ कोलम्बो में मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था। हालांकि टेस्ट में नेहरा उतने कामयाब नहीं हा सके जितनी उम्मीद थी। नेहरा ने टेस्ट में सिर्फ 17 टेस्ट मैच ही खेल सके और उन्होंने 44 विकेट चटकाये। उन्होंने अंतिम बार टेस्ट मैच रावलपिंडी में पाक के खिलाफ 2004 में खेला था। वन-डे में नेहरा ने 120 मैचों 157 विकेट लिए हैं जबकि टी-20 में उन्होंने कुल 27 मैचों में 34 विकेट चटकाये। 2003 विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ नेहरा ने छह विकेट लेकर अंग्रेजों की कमर तोड़ कर रख दी थी। कुल मिलाकर नेहरा ने क्रिकेट करियर में बहुत कुछ हासिल किया है। बहुत कम गेंदबाज होते है जो 12 ऑपरेशन के बावजूद क्रिकेट की पिच पर शानदार मौजूदगी दर्ज करा पाते हैं।

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