राष्ट्रीय

प्रतिबंधित नोट रखने को अपराध बनाने के लिए अध्यादेश

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नई दिल्ली | केंद्रीय मंत्रिमंडल ने  एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी, जिसके तहत 31 मार्च, 2017 के बाद अमान्य घोषित 500 और 1000 रुपये के नोटों को रखना अवैध माना गया है और इसके उल्लंघन करने वालों के लिए जेल की सजा का एक प्रावधान किया गया है। लोग पुराने नोट 30 दिसंबर तक बैंकों में और अगले साल 31 मार्च तक भारतीय रिजर्व बैंक में जमा कर सकते हैं। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अधिसूचना जारी करने से पहले ‘निर्दिष्ट बैंक नोट देयताएं समाप्ति अध्यादेश’ को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास भेजा जाएगा।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में अध्यादेश को मंजूरी दी गई जो भारतीय रिजर्व बैंक कानून में संशोधन के लिए है और इसका लक्ष्य इस तरह के नोटों के धारकों के प्रति सरकार की जिम्मेदारी खत्म करना है।
हालांकि सूत्रों ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि उल्लंधन करने वालों के लिए अध्यादेश में जेल की सजा की मांग की गई है या नहीं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “अध्यादेश मुख्य रूप से सरकार को भावी मुकदमों से बचाने के लिए है, क्योंकि अदा करने का वचन पूरा नहीं करने के लिए वाद दायर किए जा सकते हैं।” घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भारतीय मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार ने इसे कानून में लाने के लिए पीछे के दरवाजे से अध्यादेश का तरीका चुना है। उन्होंने कहा, “हम अध्यादेश राज के खिलाफ हैं।” इसको लेकर लोगों ने भी प्रतिक्रिया जाहिर करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। आशुतोष ने ट्वीट कर कहा, “अध्यादेश के बाद-भारतीय रिजर्व बैंक का वादा : मैं धारक को वचन देता हूं..(हो जाएगा) सरकारी वादा : मैं धारक को गिरफ्तार करने का वचन देता हूं।”
विक्रम मोहन ने अपने दोस्तों से 31 मार्च से पहले उसकी जमानत की व्यवस्था करने को कहा, क्योंकि स्मृति चिन्ह के रूप में उसके पास एक जोड़े पुराने नोट हैं। हालांकि, अध्यादेश यह स्पष्ट करता है कि अधिकतम दस पुराने नोटों के संग्रह करने पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।

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