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सेक्स वर्कर्स के साथ दुर्व्यवहार न करे Police, SC के सख्त निर्देश

भारत में वैश्यावृत्ति कोई अपराध नहीं है, ऐसा मैं नहीं बल्कि इसे सुप्रीम कोर्ट ने पेशा माना है.. अब सबसे ज्यादा सोचने वाली बात ये है कि आखिर हम किस देश में रहते हैं जहां वैश्यवृत्ती को कोई अपराध नहीं माना जाता.. एक तरफ तो महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के लिए बड़ी- बड़ी बातें बोली जाती हैं वहीं दूसरी तरफ ऐसी बातें भी सामने आ जाती है..

आपको बताते चलें कि दुनियाभर के देशों में एक पेशे की तरह वैश्यावृत्ती को माना जाता है.. लेकिन भारत में फिलहाल ऐसा नहीं है.. यहां वैश्यावृत्ति को हमेशा से ही एक अलग नजर से देखा गया है और इसे एक पेशे की तौर पर शायद ही कभी किसी ने स्वीकार किया हो.. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने वैश्यावृत्ति को एक पेशा बताकर साफ किया है कि पुलिस इसमें कोई दखलअंदाजी नहीं कर सकती है..

वाह सुप्रीम कोर्ट वाह, ऐसा न्याय दिलाकर आपने उन महिलाओं का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया जो अपना जिस्म बेचकर पैसे कमाती हैं वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें अपना और अपने परिवार का पेट पालना है..

अब जानते हैं कि क्या कहता है इसपर हमारे भारत का कानून

सबसे पहले तो ये साफ कर देना जरूरी है कि भारत में वैश्यावृत्ति कोई अपराध नहीं है. यानी ये कानूनी तौर पर अवैध नहीं है. हालांकि इससे जुड़े कई मामलों में ये अवैध माना जाता है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो सार्वजनिक स्थानों पर वैश्यावृत्ति करना कानूनी तौर पर सही नहीं है. अगर कहीं भी ऐसा होता है तो ये गैरकानूनी होगा। इसके अलावा –

1- अगर कोई होटल या फिर ऐसी ही किसी जगह पर वैश्यावृत्ति करते हुए पाया गया तो ये गैरकानूनी होगा
2- किसी सेक्स वर्कर की व्यवस्था कर किसी भी तरह वैश्यावृत्ति में शामिल होना
3- किसी ग्राहक के लिए सेक्स वर्कर को बुलाना और उसे ऐसी क्रिया के लिए उकसाना
4- अगर कोई सेक्स वर्कर अपने काम का प्रचार करती पाई जाती है या फिर किसी को इसके लिए आकर्षित करती है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है.
5- कॉल गर्ल्स को अपना नंबर सार्वजनिक करने की भी इजाजत नहीं है, अगर ऐसा किया जाता है तो ये गैरकानूनी माना जाएगा और 6 महीने तक की सजा हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने इस अहम टिप्पणी के साथ सेक्स वर्कर्स को लेकर सिफारिशों पर केंद्र और राज्यों से जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि 8 हफ्ते में उन तमाम सिफारिशों पर जवाब दें, जिनमें कहा गया है कि सेक्स वर्करों को क्रिमिनल लॉ में समान अधिकार मिले हुए हैं।

अब एक बात समझ नहीं आ रही कि सुप्रीम कोर्ट इसे वैध कैसे बता सकती है बल्कि SC को तो इस पर बकायदा रोक लगानी चाहिए और उन महिलाओं को अच्छा रोजगार दिलाना चाहिए जिससे वो ये काम कुछ पैसों के लिए करने पर मजबूर ना हों..

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