प्रदेश

पीएम के रासायनिक खाद व कीटनाशक मुक्त खेती अभियान का किसानों ने किया स्वागत

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के आणंद में आयोजित ‘कॉन्क्लेव ऑन नेचुरल फार्मिंग’ सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने हर राज्य सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि वो प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने के लिए आगे आयें। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में मां भारती की धरा को रासायनिक खाद और कीटनाशकों से मुक्त करने का संकल्प लें। पीएम मोदी के इस आह्वान पर उत्तर प्रदेश के प्रगतिशील किसानों ने पीएम के विचारों का स्वागत करते हुए खेती किसानी के प्रति उनकी दूरदृष्टि और किसानों के प्रति अगाध प्रेम की दिल खोलकर तारीफ की। किसानों ने उनके दिये गए सुझावों पर अमल करने का संकल्प लिया।

प्राकृतिक खेती कॉन्क्लेव में पीएम मोदी के भाषण पर प्रगतिशील किसानों की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री को सुनना शुरू से अच्छा लगता है। 2014 में जब उन्होंने मानबेला के मैदान से पहला भाषण दिया था तब से मैं उनको सुन रहा हूँ। तब वह प्रधानमंत्री नहीं थे। बावजूद इसके उन्होंने खेती किसानी की बातें की थीं। मुझे ठीक से याद है कि उन्होंने कहा था कि किसान अगर खुशहाल होना चाहते हैं तो उनको अपनी खेती में विविधता(डाइवर्सिटीफिकेशन) लाना होगा। उनकी सलाह थी कि किसान खेतीबाड़ी को तीन हिस्सों में बाँट ले एक हिस्से पर परंपरागत खेती करें। दूसरा हिस्सा पशुपालन और पशुओं के चारे के लिए छोड़ दें। तीसरे में बागवानी या सब्जी की खेती करें। यह बात आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने किसानों कि खुशहाली के लिए बहुत कुछ किया है। मसलन वर्षों से लंबित स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में लागत के अनुसार लगातार वृद्धि की। दशकों से लंबित सिंचाई परियोजनाओं को समय से पूरा करने के लिए पीएम सिंचाई योजना कि शुरुवात की। सिंचाई के पानी के बेहतर प्रबंधन के लिए ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ का नारा दिया। आज भी उन्होंने किसानों से संवाद में हम लोगों के हित में ढेर सारी बातें की। अगर किसान उनकी बातों पर अमल करे तो उनको समृद्ध होने से कोई रोक नहीं सकता है।

इंद्र प्रताप सिंह – प्रगतिशील किसान
ज्ञानीपुर, गगहां, गोरखपुर

प्रधानमंत्री खेतीबाड़ी में हर दम नवाचार (इनोवेशन) की बात करते हैं। मन की बात में लगभग हर बार उन्होंने नवाचार करने वाले कुछ किसानों की बात की। जैसे झांसी में स्ट्राबेरी उगाने वाले किसान हरलीन कौर हों या महाराजगंज की वनटांगिया बस्ती में सुनहरी शकरकंद (गोल्डेन स्वीट पोटैटो), सुल्तानपुर के गया प्रसाद मुरारी सिंह द्वारा उगाये जा रहे ड्रैगन फ्रूट की चर्चा हो। प्रधानमंत्री के लिए किसानों का हित औरों की तरह से सिर्फ नारा ही नहीं है। बल्कि उनकी दिली इच्छा है की अन्नदाता खुशहाल हों। आज भी किसानों से संवाद में बातचीत के केंद्र में किसानों की खुशहाली ही थी।

संजय सिंह – प्रगतिशील किसान
सिधारी, गगहां, गोरखपुर

प्राकृतिक खेती के ऊपर कॉन्क्लेव में आचार्य देवव्रत एवं नरेंद्र मोदी जी के जैविक खेती से जुड़े सुझावों और अनुभवों को सुनना आनंददायी रहा। जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के सरकार के प्रयास की मैं भूरि भूरि प्रशंसा करना चाहूंगा। अगर हम सब पूरी तरह से जानकारी करके इस ओर आगे बढ़ें तो जैविक खेती आसानी से की जा सकती है। रासायनिक खेती से आज बड़े पैमाने पर लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। जैविक खेती को लेकर किसानों के मन में डर रहता है कि मेरा प्रोडक्ट कम बिका तो क्या होगा? सरकार की तरफ से उन्हें स्थानीय स्तर भी जागरूक कर अच्छी तरह से ट्रेनिंग दी जाय, बाजार में बिक रही जैविक खादों की गुणवत्ता की जांच हो तब उनकी बिक्री हो। जैविक खेती के प्रोत्साहन के इन प्रयासों से पीएम मोदी व सीएम योगी के स्वस्थ और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश के संकल्प को साकार किया जा सकता है।

कर्नल हरिश्चंद्र सिंह- प्रगतिशील किसान
जैविक खेती
बाराबंकी

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