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कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर कभी भी आ सकती है: रणदीप गुलेरिया

नई दिल्ली: एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने गुरुवार को कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर कभी भी आ सकती है। गुलेरिया ने हाल ही में सामने आए चौथे चरण के सीरो सर्वे के नतीजों के संबंध में कहा कि जब हम भारत की दो तिहाई आबादी की बात करते हैं तो हमें ये याद रखना चाहिए कि इसे सामान्य तौर पर देखा जाना चाहिए। हमारे पास अभी भी ऐसी कई जगहें हैं जहां एक बड़ी आबादी अतिसंवेदनशील हो सकती है। इसलिए आपके पास ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जहां लोगों को संक्रमण हुआ है क्योंकि यह वह जगह है जहां संक्रमण संपर्कों के बीच फैलता है। वहीं कुछ ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जहां टीके की मात्रा अधिक होती है और ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां से दो-तिहाई का बड़ा हिस्सा आ सकता है।

गुलेरिया ने सीरो सर्वे के नतीजों का ही विश्लेषण करते हुए कहा कि देश में अभी भी बड़ी संख्या में लोग टीका लगवाने से हिचक रहे हैं। ऐसे लोगों ने न तो टीका लगवाया है और न ही वे संक्रमित हुए है। ये लोग अतिसंवेदनशील बन जाते हैं। इसलिए सीरो सर्वे के नतीजों का सामान्यीकरण नहीं किया जा सकता कि यह दो तिहाई आबादी पूरे भारत की है।

एम्स निदेशक ने इसी संबंध में कहा कि ऐसे क्षेत्र भी हैं जहां ये आबादी दो तिहाई से ज्यादा हो सकती है और ये कम भी हो सकती है। यही कारण है कि जब मामलों में अचानक होने वाली वृद्धि के चलते नई लहर आती है। यह कहना मुश्किल है कि यह कब तक आएगी। इसके लिए कुछ हफ्ते भी लग सकते हैं और कुछ महीने भी लग सकते हैं।

वहीं सीरो सर्वे के मुताबिक भारत के 50 फीसदी बच्चों में पाई गई एंटीबॉडीज़ को लेकर गुलेरिया ने कहा कि ऐसा कहा जा रहा था कि तीसरी लहर बच्चों को ज्यादा प्रभावित करेगी क्योंकि वह अतिसंवेदनशील हैं और उनके लिए अभी कोई वैक्सीन भी नहीं है। ऐसे में मामलों के बढ़ने पर उनपर खतरा बढ़ जाएगा क्योंकि वयस्कों का टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा है। लेकिन सीरो सर्वे के नतीजों ने इस बात को गलत साबित किया है। बच्चों को काफी हद तक संक्रमण हुआ लेकिन उन्हें हल्का संक्रमण था जिससे वह जल्दी ही उबर गए।

गुलेरिया ने बताया कि जब बच्चों में एंटीबॉडी देखी गईं तो उनमें यह 60 फीसदी थी। इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि जब हमने टीके के लिए ट्रायल शुरू किया तो 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे जो स्वयं टीकाकरण के लिए आए और स्वेच्छा से आए, जब हमने एंटीबॉडी के लिए उनका परीक्षण किया, तो उनके पास पहले से ही एंटीबॉडी थे। पहली और दूसरी लहर में, हमने पाया कि बहुत कम बच्चे गंभीर कोविड संक्रमण के चलते भर्ती हुए; उनमें से अधिकांश को हल्की बीमारी थी और वे ठीक हो गए। इसलिए मुझे नहीं लगता कि आने वाली लहर में बच्चों को गंभीर संक्रमण होगा।

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