सैकड़ों जिंदगियां बाल-बाल बचीं, ट्रैक पर आया मलबा
देहरादून। दून रेलवे स्टेशन के ट्रैक में सिंघल मंडी-मद्रासी कालोनी के सामने पुश्ता ढहने और उसके ट्रैक पर आ जाने से हावड़ा एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बची। शुक्रवार रात दून रेलवे स्टेशन से लगभग सवा किमी दूर तेज बारिश के चलते रेलवे की विशाल दीवर ट्रेन के इंजन के सामने आ गिरी और उसका मलबा इंजन के पहियों में फंस गया। गनीमत रही कि समय रहते चालक ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक ली, अन्यथा सैकड़ों जिंदगियां खतरे में पड़ सकती थीं। इस दौरान तेज झटके से यात्री भी सहम गये। रात करीब साढ़े ग्यारह बजे ट्रैक खुला तो ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो सकी।
लोगों की मदद से मलबा हटाने के बाद ही ट्रेन को रवाना किया गया। इसी कारण रात सवा नौ बजे जनशताब्दी एक्सप्रेस हर्रावाला रेलवे स्टेशन पर आकर रुक गई। उधर, देहली से दून आ रही जनशताब्दी एक्सप्रेस भी 12 बजे के आसपास यहां पहुंची। इससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
सूचना मिलते ही रेलवे अधिकारी मौके पर पहुंचे और राहत बवाच कार्य शुरू किया। यात्रियों ने भी मदद करते हुए इंजन के नीचे फंसे पत्थर निकालने शुरू किए। हालांकि बारिश के कारण राहत कार्य में बाधा जरूर बनी रही, लेकिन कड़ी मशक्कत के बाद रात साढ़े ग्यारह बजे ट्रैक को खोला जा सका। टैªक बाधित होने से जनशताब्दी एक्सप्रेस, मसूरी एक्सप्रेस एवं नंदा देवी एक्सप्रेस के आवागमन में देरी हुई। काठगोदाम एक्सप्रेस को भी डेढ़ घंटे की देरी से रात साढ़े 12 बजे रवाना किया जा सका।
जनशताब्दी एक्सप्रेस के हर्रावाला में फंसे होने की सूचना मिलते ही दर्जनों ऑटो व टैक्सी चालक वहां पहुंच गए। लगभग आधे घंटे बाद भी जब टैªक नहीं खुला तो यात्रियों ने वहीं से वैकल्पिक साधन लेकर देहरादून आना उचित समझा। इस दौरान टैक्सी व ऑटो चालकों ने बेबस यात्रियों से मनमाना किराया वसूला। एक यात्री ने बताया कि दून तक आने के लिए ऑटो चालक ने उनसे एक हजार रुपये की मांग की। किसी तरह आठ सौ रुपये में बात बनी और वह देहरादून पहुंच सके। इस बीच मुरादाबाद मंडल के प्रबंधक प्रमोद कुमार ने बताया कि दीवार कैसे और क्यों गिरी, इसकी जांच कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि टैªक बाधित होने से कुछेक टेªेनें लेट हुई हैं।