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शुक्र है हनुमान गुस्सा नहीं होते, वरना मुसलमान, जाट और चीनी बताने वालों का जवाब ज़रूर देते

हनुमान जी को लेकर कई पार्टियों के नेता अपनी बयानबाजी करने को लेकर चर्चा में आ रहे हैं। कभी भगवान हनुमान जी को दलित कहा जा रहा है, तो अब उन्हें मुसलमान, चीनी और जाट बोल दिया जा रहा है।

भगवान हनुमान जी की जाति को लेकर अब एक नया बयान सामने आया है, योगी सरकार के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने भगवान हनुमान जी को जाट बताया है। ANI के एक वीडियो में चौधरी लक्ष्मी नारायण यह कह रहे हैं कि मेरा मानना है कि हनुमान जी जाट थे, क्योंकि किसी को भी परेशानी या फिर मुश्किल में पड़ा देखकर जाट किसी को जाने बिना भी बचाने के लिए कूद पड़ता है। वैसे ही हनुमान जी भी थे।

इससे पहले गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के विधायक बुक्कल नवाब ने हनुमान जी को मुसलमान बताया था। बुक्कल नवाब ने यह कहा था कि हनुमान जी मुसलमान थे। क्योंकि मुसलमानों में जो नाम रखे जाते हैं – रहमान, रमज़ान, फरमान, ज़ीशान, कुर्बान – जितने भी नाम रखे जाते है, हनुमान भी सुनने में वैसा ही लगता है।

वहीं बीजेपी नेता कीर्ति आजाद ने यह कहा कि हनुमान जी चीनी थे। हर जगह यह अफवाह उड़ रहा है कि चीनी लोग दावा कर रहे हैं कि हनुमान जी चीनी थे।

नेता गुस्से में या अपने आत्मज्ञान के मुताबिक ऐसे हवा-हवाई बयान दे रहे हैं। अगर हम असली दुनियां से बाहर निकल कर अपने भीतरी मन से सोंचे तो यह ज़रूर महसूस करेंगे कि हमारे देवता आजकल जल्दी गुस्साते नहीं है। या यूं कहें कि हनुमान जी भी नेताओं के इन बयानों को सुनकर उन्हें दूसरे कान से निकाल दे रहे हैं।

हनुमान जी का गुस्सा, संभाले नहीं संभलता –

चलिए आप को पुराणों में कही गईं कुछ बातें बताते हैं, जो हनुमान जी की शक्ति का एहसास कराती हैं। हम तो इन नेताओं को यही कहेंगे कि ज़रा दो वक्त का समय निकाल कर कोई भी बयान देने से पहले नीचे लिखीं बातें पढ़ लें।

शास्त्रों में यह कहा गया है कि भगवान हनुमान का गुस्सा संभालने के लिए पूरे संसार में कोई भी शक्ति पैदा नहीं हुई। यहां तक कि बाल अवस्था में जब हनुमान जी अपनी जिद्द पर आ गए थे, तो वो पूरा का पूरा सूरज ही निगल गए थे।

हनुमान जी पूरा का पूरा पहाड़ ही उठा लाए थे। ( तस्वीर – गूगल )

इसके अलावा रामायण में यह भी देखने को मिलता है कि हनुमान इतने शक्तिशाली थे, कि वो खुद रावण को खत्म कर सकते थे। लेकिन उन्होंने ने चाह के भी ऐसा नहीं किया, क्योंकि उन्हें पता था कि रावण का अंत श्री राम के हाथों ही होना था, और वो यही बात रावण से कह कर उसे छोड़ दिए थे।

भगवान हनुमान की ताकत का ज़िक्र इस बात में मिलता है कि जब भगवान लक्ष्मण को मेघनाथ का तीर लगा था, तो उनको बचाने के लिए संजीवनी बूटी की खोज में हनुमान जी पूरा का पूरा पहाड़ ही उठा लाए थे।

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