IANS

कोई मोबाइल फोन डिसकनेक्ट नहीं होगा : सरकार

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने बुधवार को उन खबरों को खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि करीब 50 करोड़ मोबाइल फोन नंबरों के डिसकनेक्शन का खतरा पैदा हो गया है। सरकार ने इसे पूरी तरह से ‘झूठ और मनगढंत’ खबर बताया है।

संचार मंत्रालय ने कहा, “ऐसी खबरों से मोबाइल यूजर्स के बीच भय का माहौल पैदा किया जा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि आधार वेरिफिकेशन के माध्यम से खरीदे गए सिम कार्ड्स डिसकनेक्ट हो जाएंगे, अगर उसे दुबारा वेरिफाई नहीं किया गया।”

दूरसंचार विभाग (डीओटी) और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने एक संयुक्त बयान में स्पष्ट किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आधार पर दिए गए फैसले में कहीं भी यह निर्देश नहीं दिया है कि आधार केवाईसी के आधार पर जारी किए गए नंबरों को डिसकनेक्ट कर दिया जाए।

इन रिपोर्टो में जिन मोबाइल नंबरों के डिसकनेक्शन की बात कही गई थी, वे देश के करीब आधे मोबाइल नंबर हैं।

दूरसंचार विभाग (डीओटी) और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आज एक संयुक्त वक्तव्य में स्पष्ट किया कि मीडिया में कुछ रिपोर्टे बताती हैं कि 50 करोड़ मोबाइल नंबरों के बंद होने का जोखिम है। यह कुल सक्रिय मोबाइलों का लगभग आधा हिस्सा है। ऐसी रिपोर्टे पूरी तरह से असत्य और काल्पनिक हैं।

समाचार रिपोर्ट मोबाइल उपयोगकर्ताओं के बीच अनावश्यक अफरा-तफरी पैदा करने का प्रयास कर रही है। इसमें दावा किया गया है कि नवीनतम पहचान के बिना आधार सत्यापन के द्वारा जो सिम कार्ड प्राप्त किए गए हैं, उन्हें बंद कर दिया जाएगा।

बयान में कहा गया, “न्यायालय ने 6 महीने के बाद दूरसंचार ग्राहकों के सभी ईकेवाईसी डेटा को हटाने के लिए भी नहीं कहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यूआईडीएआई को 6 महीने से अधिक समय तक प्रमाणीकरण लॉग नहीं रखना चाहिए। यूआईडीएआई पर प्रतिबंध है, न कि दूरसंचार कंपनियों पर। इसलिए, दूरसंचार कंपनियों को प्रमाणीकरण लॉग हटाने की कोई आवश्यकता नहीं है।”

बयान में आगे कहा गया, “इसलिए यदि कोई व्यक्ति अपने आधार ईकेवाईसी को ताजा केवाईसी द्वारा प्रतिस्थापित करने की इच्छा रखता है, तो वह मोबाइल केवाईसी पर पहले दूरसंचार विभाग के परिपत्रों के अनुसार ताजा ओवीडी जमा करके सेवा प्रदाता से अनुरोध कर सकता है। लेकिन किसी भी मामले में पुराने मोबाइल नंबर बंद करने के लिए कोई निर्देश नहीं है।”

बयान में कहा गया है कि वास्तव में दूरसंचार विभाग और यूआईडीएआई एक मोबाइल ऐप के माध्यम से नए सिम कार्ड जारी करने के लिए पूरी तरह से निर्बाध और डिजिटल प्रक्रिया लाने की प्रक्रिया में हैं जो आधार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरी तरह से अनुपालन करेंगे।

प्रस्तावित प्रक्रिया में अक्षांश, देशांतर और समय के मोहर सहित व्यक्ति की लाइव तस्वीर को प्रस्तुत करना शामिल होगा। आधार कार्ड, मतदाता पहचान इत्यादि जैसी आईडी की तस्वीर को इसमें शामिल किया जाएगा। सिम कार्ड एजेंट को ओटीपी के माध्यम से प्रमाणित किया जाएगा और सिम कार्ड जारी किया जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह से निर्बाध और डिजिटल होगी।

 

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