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यूपी चुनाव 2022 : क्या कहता है कानपुर का राजनीतिक समीकरण, जानें समस्याएं और मुद्दों के बारे में

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कानपुर शहर में करीब 76 फीसदी हिंदू आबादी, 20 फीसदी मुस्लिम और चार फीसदी अन्य समुदाय के लोग रहते है. कानपुर में सिख समुदाय की आबादी करीब 2 फीसदी है. 2011 की जनगणना के अनुसार कानपुर शहर की कुल जनसंख्या 45,81,268 है. वैसे तो कानपुर में कई बड़ी-बड़ी घटनाएं हुई, 1984 के दंगे में भी इस शहर ने बहुत कुछ देखा था लेकिन हाल ही में 10 जुलाई को हुए घटनाक्रम ने पूरे देश को हैरान कर दिया था. कानपुर देहात के बिक गांव में 8 पुलिसकर्मियों को कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने मौत के घाट उतार दिया था.

कानपुर का राजनीतिक समीकरण

कानपुर में विधानसभा की कुल 10 सीटें हैं जो बिल्हौर, बिठूर, कल्यानपुर, महाराजपुर, घाटमपुर, छावनी, किदवई नगर, गोविन्द नगर, आर्य नगर और सीसामऊ है. इन दस सीटों में सात सीटों पर बीजेपी दो सीटों पर समाजवादी पार्टी और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. बिल्हौर से बीजेपी भगवती सागर कल्याणपुर से मंत्री नीलिमा कटियार बिठूर से अभजीत सिंह सागा किदवई नगर से महेश त्रिवेदी घाटमपुर से उपेद पासवान महाराजपुर से कैबिनेट मंत्री सतीश महाना और गोविन्द नगर से सुरेंद्र मैथानी विधायक हैं जबकि सीसामऊ और आर्य नगर से सपा के इरफान सोलंकी और अमिताभ वाजपेयी विधायक है. कैट सीट से कांग्रेस के सुहेल असारी विधायक हैं. गोविन्द नगर विधानसभा सीट से बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी 2017 में विधान सभा में जीते थे लेकिन सासद बनने पर यहां हुए उपचुनाव में बीजेपी से ही सुरेंद्र मैथानी चुनाव जीते हैं जबकि घाटमपुर से मंत्री कमल रानी वरुण की कोरोना से मौत के बाद उपद पासवान उपचुनाव जीते हैं.

समस्याएं और मुद्दे

कानपुर में लंबे समय से ट्रैफिक की समस्या चली आ रही है.

कानपुर में रेलवे जंक्शन होने के कारण प्रतिदिन में लाखों यात्रियों का स्टेशन से आना-जाना होता है. आसपास के कई जिलों के लिए यहां से ट्रेनें बदली जाती है इससे भी यातायात दबाव अधिक रहता है.

कानपुर में धनी बस्तियों होने के कारण सड़कों की हालत अक्सर खराब रहती है. कानपुर में जलभराव को समस्या का मुख्य कारण माना जाता है घनी आबादी होने की वजह से नाले और नालियों की स्थिति ठीक नहीं रहती है जिसके कारण शहर की मुख्य सड़क पर भी जलभराव देखने को मिलता है.

कानपुर में बेरोजगारी शहर का मुख्य मुद्दा है. बंद पड़ी मीलों के कारण लाखों लोग बेरोजगार हुए थे तब से लेकर आज तक कानपुर में बेरोजगारी एक मुख्य मुद्दा बन गया है.

कानपुर कोलकाता के बाद भारत में कपड़े का सबसे बड़ा उत्पादक शहर था. इन मिलों के बंद होने के बाद शहर ने अपनी मुख्य पहचान को खो दिया.

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