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डॉ. के. विक्रम राव : परिचय एक श्रमजीवी पत्रकार का

समाज की सच्ची तस्वीर दिखाना हर एक ईमानदार पत्रकार की ज़िम्मेदारी होती है, ऐसे ही एक श्रमजीवी पत्रकार हैं डॉ. के. विक्रम राव।

गद्यकार, सम्पादक, मीडिया शिक्षक और टीवी, रेडियो समीक्षक डॉ. के. विक्रम राव श्रमजीवी पत्रकारों के मासिक दि वर्किंग जर्नलिस्ट के प्रधान सम्पादक हैं।

पत्रकार

वे वॉयस ऑफ अमेरिका (हिन्दी समाचार प्रभाग, वाशिंगटन) के दक्षिण एशियाई ब्यूरो में 15 वर्षों तक संवाददाता रहे। वे 1962 से 1998 तक दैनिक टाइम्स ऑफ इण्डिया (मुंबई) में कार्यरत थे।

नौ प्रदेशों में इसके ब्यूरो प्रमुख रहे। सम्प्रति 85 तेलुगु, हिंदी, उर्दू तथा अंग्रेजी पत्रिकाओं में स्तंभकार हैं।
वे मुम्बई, हैदराबाद, कोची, दिल्ली, अहमदाबाद, कोलकत्ता आदि के पत्रकारिता संस्थानों में रिपोर्टिंग पर व्याख्याता भी हैं।

वे डॉ. धर्मवीर भारती के “धर्मयुग” और रघुवीर सहाय के “दिनमान” में लिखते रहे। वे दैनिक इकनामिक टाइम्स, और पाक्षिक फिल्मफेयर में भी काम कर चुके हैं। विक्रम राव की समाचार रिपोर्ट की चर्चा विभिन्न विधान मण्डलों तथा संसद के दोनों सदनों में होती रही हैं।

मुरादाबाद, अहमदाबाद और हैदराबाद के साम्प्रदायिक दंगों पर उनकी रिपोर्ट अपनी वास्तविकता और सत्यता के लिए प्रशंसित हुई।

बुन्देलखण्ड और उत्तर गुजरात में अकाल स्थिति पर भेजी उनकी रिपोर्टों से सरकारी और स्वयंसेवी संगठनों ने तात्कालिक मदद भेजी जिससे कई प्राण बचाए जा सके।

विक्रम राव की मातृभाषा तेलुगु है। वे मराठी, गुजराती तथा उर्दू भी जानते हैं। उन्होंने मीडिया पर नौ और डॉ. लोहिया पर दो पुस्तकें लिखी हैं।

वे भारतीय प्रेस काउंसिल (PCI) के छह वर्षों (1991) तक लगातार सदस्य रहे। श्रमजीवी पत्रकारों के लिए भारत सरकार द्वारा 2008 में गठित जस्टिस जी.आर. मजीठिया और मणिसाणा वेतन बोर्ड (1996) के वे सदस्य थे।

प्रेस सूचना ब्यूरो की केन्द्रीय प्रेस मान्यता समिति के पाँच वर्षों तक वो सदस्य रहे।

पत्रकार

भारतीय प्रेस काउंसिल की जांच समिति के सदस्य के नाते डॉ० विक्रम राव ने कश्मीर तथा पंजाब में मीडिया पर आतंक की तफ्तीश की थी। इन सीमावर्ती राज्यों में मानव अधिकार की स्थिति पर उनकी रिपोर्ट की यूरोपीय यूनियन और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने प्रशंसा की थी।

अयोध्या मुद्दे पर मीडिया की भूमिका पर भी प्रेस काउंसिल के लिए जांच रपट तैयार की थी।
नई दिल्ली में जन्मे और गांधीजी के सेवाग्राम, चेन्नई, बापटला (आंध्र प्रदेश), नागपुर तथा पटना में शिक्षित, विक्रम राव ने समाजशास्त्र, अंग्रेजी व संस्कृत साहित्य में बी.ए. किया।

लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में एम.ए. के बाद उन्होंने स्नातकोत्तर छात्रों को अन्तर्राष्ट्रीय-संबंध विषय पढ़ाया। उन्हें मुंबई में डी० लिट् की उपाधि भी मिली है। उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा (I.P.S.) में हो गया था, पर उन्होंने मुम्बई में टाइम्स ऑफ इण्डिया में रिपोर्टर होना पसन्द किया।

प्रेस स्वाधीनता के लिए अथक संघर्षशील, विक्रम राव पीयूसीएल के राष्ट्रीय पार्षद थे और आपातकाल (1976) में 13 माह पांच जेलों में रहे, क्योंकि तब आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के उपाध्यक्ष होने के नाते के उन्होंने प्रेस सेंसरशिप का विरोध किया था। पटना में काले बिहार प्रेस बिल के खिलाफ प्रदर्शन करते हुये (1983) वे कैद हुये थे। उनके अनवरत प्रयासों के परिणाम में वेतन बोर्डों द्वारा हजारों पत्रकारों को गत वर्षों में अत्यधिक लाभ हुआ है।

प्रशिक्षण तथा शैक्षिक यात्रा हेतु विक्रम राव ने 1145 आंचलिक पत्रकारों को अफ्रीका, यूरोप, दक्षिण एषिया तथा अमरीका भेजा था। डॉ0 विक्रम राव सभी छः महाद्वीपों के 51 राष्ट्रों (अमरीका, क्यूबा, रूस, चीन, मिस्र, जिम्बांव्वे, ईराक, ऑस्ट्रेलिया सहित) में आयोजित मीडिया गोष्ठियों में भाग ले चुके है।

भारतीय श्रमजीवी पत्रकार फेडरेशन (I.F.W.J.) के 12वें राष्ट्रीय अध्यक्ष पुनः निर्वाचित होकर, विक्रम राव ने अपना तीन वर्षीय कार्यकाल मार्च 2019 से आरम्भ किया। तीसरी दुनिया का सबसे बड़ा पत्रकार संगठन (I.F.W.J.) 28 अक्तूबर 1950 को दिल्ली में स्थापित हुआ था। आज उसके तीस हजार सदस्य 25 राज्यों व केन्द्रशासित इकाइयों में सत्रह भाषाओं के 1260 से अधिक समाचारपत्रों, संवाद समितियों तथा टी.वी. में कार्यरत हैं। कोलम्बो सम्मेलन में एशियाई पत्रकार यूनियनों के कॉन्फेडरेशन के अध्यक्ष विक्रम राव निर्वाचित हुये हैं।

उनके पिता स्वर्गीय श्री के. रामा राव लखनऊ में जवाहरलाल नेहरू के दैनिक नैशनल हेराल्ड के 1938 में संस्थापक-सम्पादक थे। उन्हें ब्रिटिश राज ने 1942 में कारावास की सजा दी थी। वे प्रथम संसद (1952) के सदस्य थे तथा आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के 1950 में प्रथम उपाध्यक्ष थे। विक्रम के ताऊजी स्वर्गीय के. पुन्नय्या कराची के मशहूर राष्ट्रवादी दैनिक सिंध आब्जर्वर के कई वर्षों तक सम्पादक थे। आल-इण्डिया न्यूजपेपर एडिटर्स कान्फ्रेन्स के संस्थापक-सदस्य थे।
आहार में निरामिष और सिगरेट व शराब से सख्त परहेजी, विक्रम राव एक कौटुम्बिक व्यक्ति हैं। उनके दो पुत्र और एक पुत्री है। उनकी पत्नी डॉ० के. सुधा राव नई दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज तथा पिलानी के बिड़ला इंस्टिट्यूट से शिक्षित होकर भारतीय रेल में मुख्य मेडिकल निदेशक रहीं।

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