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20 विधायकों के अयोग्य घोषित पर ‘आप’ में मची रार, कुमार ने केजरीवाल पर कसा तंज

नई दिल्ली | आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने शनिवार को यहां कहा कि निर्वाचन आयुक्त ए.के. ज्योति ने आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की सिफारिश कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी तरफ से तोहफा दिया है। उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग ने लाभ का पद धारण करने के लिए आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की अपनी सिफारिश राष्ट्रपति के पास भेज दी है।

उधर आम आदमी पार्टी के संस्थापक और पार्टी से नाराज चल रहे वरिष्ठ नेता और कवि कुमार विश्वास ने एक बार फिर पार्टी संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर करारा प्रहार किया है। उन्होंने इशारों-इशारों में केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आप में लगातार घमासान देखने को मिल रहा है। दरअसल पार्टी के कुछ नेता बगावती तेवर अपना रखा है। इस वजह से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए लगातार परेशानी बढ़ती जा रही है। इससे पूर्व पार्टी में हाल ही राज्यसभा की सदस्यता को लेकर काफी विवाद देखने को मिल चुका है। खींचातानी के बीच कुमार विश्वास लगातार केजरीवाल पर हमला बोल रहे थे। हालांकि कुमार विश्वास ने 20 विधायकों की सदस्यता पर चुनाव आयोग के फैसले को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। हालांकि कुछ मामलों में कुमार विश्वास ने ज्यादा बोलना उचित नहीं समझा।

वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने ने मीडिया को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि पार्टी खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और शहर में सीलिंग अभियान की अनुमति देने के भाजपा के फैसले के खिलाफ एक अभियान शुरू करेगी। निर्वाचन आयोग ने आप के 20 विधायकों को लाभ का पद धारण करने के कारण उन्हें अयोग्य ठहराए जाने की अपनी सिफारिश शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेज दी है।

राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिश के अनुसार कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं।

राय ने कहा, “जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो ज्योति वहां प्रधान सचिव थे और वह मोदी के सबसे अधिकारी थे।”

वरिष्ठ नेता ने कहा, “आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना मोदी के लिए उनका उपहार है। इस तोहफे की वजह क्या थी? यह तोहफा उन्होंने क्यों दिया? देश और आम आदमी पार्टी यह जानना चाहती है।”

उन्होंने कहा, “देश में हर किसी के मन में केवल एक सवाल है कि सेवानिवृत्ति से मात्र दो दिन पहले यह निर्णय लेने की आखिर क्या मजबूरी थी।”

राय ने उन दावों को भी खारिज कर दिया जिनमें कहा गया है कि आप के विधायकों को निर्वाचन आयोग के सामने उपस्थित होने के लिए कई मौके दिए गए थे। उन्होंने कहा कि मीडिया में झूठ फैलाया जा रहा है।

राय ने कहा कि निर्वाचन आयोग की तरफ से भेजे गए हर नोटिस का आप के वकीलों ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान भी दंड देने से पहले लोगों का पक्ष सुना जाता था।

निर्वाचन आयोग के एक कथित आदेश को दिखाते हुए राय ने कहा कि आयोग ने 13 मार्च, 2017 के बाद आप के विधायकों को सुनवाई की कोई तारीख नहीं दी गई थी।

निर्वाचन आयोग ने हिंदू लीगल सेल के एक सदस्य, अधिवक्ता प्रशांत पटेल द्वारा जून 2015 में की गई एक शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने अपनी राय राष्ट्रपति के पास भेज दी है। पटेल ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजी याचिका में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को कथित तौर पर अवैध कहा था।

निर्वाचन आयोग के निर्णय बाद कांग्रेस और भाजपा ने केजरीवाल से इस्तीफे की मांग की है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आप के विधायकों को निर्वाचन आयोग की सिफारिश के खिलाफ अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया।

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