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रेलकर्मियों को मोदी ने दिया जोर का झटका, वीआरएस लेने पर बच्‍चे को नहीं मिलेगी नौकरी

 

नई दिल्‍ली। मोदी सरकार ने भारतीय रेल कर्मचारियों के वीआरएस लेने पर बच्‍चों को नौकरी दिलाने वाली स्‍कीम पर रोक लगा दी है। साल 2004 में शुरू होने वाली स्कीम में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेने वाले कर्मचारियों के बच्चों को नौकरी दिए जाने का प्रावधान था।

लिबरलाइज्ड एक्टिव रिटायरमेंट स्कीम फॉर गारंटीड एम्प्लॉयमेंट फॉर सेफ्टी स्टाफ (LARSGESS) की शुरुआत साल 2004 में की गई थी। तब नीतीश कुमार रेल मंत्री थे। रेल मंत्रालय के आदेश का पालन करते हुए इस स्कीम को पिछले महीने रोक दिया गया। सभी क्षेत्रीय रेलवे को एक ऑर्डर जारी कर कहा गया है कि अगला आदेश आने तक LARSGESS को रोक दिया जाए।

इस स्कीम को लेकर जारी मामले की सुनवाई करते वक्त पंजाब और हरियाणा कोर्ट ने जुलाई में कहा था कि इससे संविधान की सरकारी नौकरियों में सभी के लिए “समान अवसर के सिद्धांत” का उल्लंघन हो
रहा है।

कोर्ट ने कहा था, ‘इस तरह की पॉलिसी के कारण संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन हो रहा है।’ इस मामले में कोर्ट ने रेलवे को सार्वजनिक रोजगारों में समान अवसर के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए दोबारा गौर फरमाने की बात कही है।

एक सीनियर रेलवे अधिकारी ने बताया कि इस मामले में देश के विभिन्न अदालतों ने अलग-अलग फैसले दिए हैं। इसलिए इसे लेकर हम लोग सुप्रीम कोर्ट जाना चाहते हैं, ताकि एक निश्चित फैसला
आ जाए।

बता दें कि LARSGESS उन लोगों के लिए है जो रेल में सुरक्षा के क्षेत्र जैसे- ड्राइवर्स और गनमैन की नौकरी करते हैं। इन लोगों को हमेशा ही चुस्त-दुरुस्त रहना होता है, लेकिन एक निश्चित उम्र के बाद चुस्ती खत्म हो जाती है।

इसलिए ऐसे में अगर ये कर्मचारी वीआरएस लेते हैं तो उनके बच्चों को नौकरियां दी जाती हैं। साल 2004 के बाद से करीब 20 हजार लोगों को इस स्कीम के तहत नौकरियां मिल चुकी हैं। रेलवे यूनियन का कहना है कि जिन जगहों में कोर्ट ने इस स्कीम को लेकर प्रतिकूल फैसले नहीं सुनाए हैं, वहां इसे जारी रहने दिया जाना चाहिए।

ऑल इंडियन रेलवे मैन फेडरेशन के हेड शिव गोयल का कहना है, ‘इस बात से सहमत हैं कि यह स्कीम नॉर्थ इंडिया और वेस्ट इंडिया में जारी नहीं रह सकती है क्योंकि अहमदाबाद कोर्ट और चंडीगढ़ कोर्ट ने इसे लेकर प्रतिकूल फैसले सुनाए हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि देश के बाकी हिस्सों में भी इस स्कीम पर रोक लगाई जाए।’

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