खेल

22वें सलवान क्रॉस कंट्री रेस में दौड़े 55,000 से अधिक बच्चे

नई दिल्ली, 5 नवंबर (आईएएनएस)| सलवान क्रॉस कंट्री रेस के 22वें संस्करण में रविवार को देश भर से आए 55,000 से ज्यादा बच्चों ने हिस्सा लिया। इनमें देश भर के 1200 से ज्यादा स्कूलों के बच्चों शामिल थे। इन बच्चों की अलग-अलग श्रेणियां थीं और इनके लिए दौड़ने की दूरी भी अलग रखी गई थी। 14 साल से कम की लड़कियां/लड़के (4.5 किमी), 16 साल से कम की लड़कियां/लड़के (6 किमी) और 18 साल से कम की लड़कियां/ लड़के (8 किमी) श्रेणी में दौड़े। इस साल की दौड़ में दिल्ली एनसीआर के स्कूलों के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के छात्रों की भागीदारी ज्यादा रही।

ष्टिहीन और दिव्यांग बच्चों ने स्वयंसेवकों की सहायता से बेजोड़ उत्साह का प्रदर्शन किया और दिन पहली दौड़ में 4.5 किलोमीटर की दूरी तय की। लेफ्टिनेंट जनरल अशोक अंब्रे (क्वार्टर मास्टर जनरल, भारतीय सेना), मेजर जनरल राजेश सहाय (चीफ ऑफ स्टाफ हेडक्वार्टर, दिल्ली एरिया) और हरपाल सिंह (चेयरमैन-अमेरिटस, फोर्टिस) ने झंडी दिखाकर अलग-अलग दौड़ों को रवाना किया।

इन लोगों ने एक वाजिब प्रणाली के जरिए साफ-सुथरे खेल को बढ़ावा देने के आयोजकों के प्रयासों की प्रशंसा की। चिप टेक्नालॉजी और आयु की पुष्टि के लिए किए जाने वाले जांच कई वर्षों से हो रही है और इससे सुनिश्चित होता है कि बच्चों में इसका संदेश अच्छी तरह जाए। बच्चों के लिए यहां एक खास चीयरिंग स्क्वैड था जिसमें सोनी येय! के जय और वीरू भी थे। इनलोगों ने राष्ट्रीय राजधानी के बीच विशाल जंगल में प्रकृति के केंद्र में दौड़ने वाले बच्चों का उत्साहवर्धन किया।

इस मौके पर सलवान मैराथन के प्रवक्ता सम्राट दिवान ने कहा, इस दौड़ को लेकर साल दर साल हम जो उत्साह, हिम्मत और उत्तेजना देख रहे हैं, उससे हमें यह आश्वासन मिलता है कि दिल्ली शहर में हम प्रतिस्पर्धी खेल को प्रोत्साहन देने तथा एक-दूसरे का सम्मान करने और वाजिब रहने के अपने उद्देश्य को बढ़ावा देने में सफल रहेंगे।

इस साल दौड़ का रूट ज्यादा चुनौतीपूर्ण था बच्चों को ऐसी जगहों और परिवेश से गुजरना पड़ा जिसका अनुभव उन्होंने दिल्ली में पहले कभी नहीं किया था। इनमें नालों के पार लंबी, घुमावदार पगडंडी शामिल है। विजेता ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्र थे जिनका मुकाबला फिर से शहरी साथियों से था और इन्हें डोपिंग तथा गलत उम्र बताने से रोकने के लिए सख्त परीक्षणों से गुजरना पड़ा।

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