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खिचड़ी के बारे में जानें बेहद खास बातें, जो बदल देगी आपका जायका

नई दिल्ली। वर्ल्ड फूड फेस्ट‍िवल में खिचड़ी को देश के सबसे पसंदीदा खाने के रूप में पेश किया गया है, बता दें कि यह पहला मौका है कि जब सरकार इतने बड़े लेवल पर भारतीय खानों को प्रमोट कर रही है। जैसे ही खबर आई कि ‘खि‍चड़ी’ को नेशनल फूड घोषित करने की योजना है, तब से ही सोशल मीडिया पर लोगों ने ‘खिचड़ी’ पकानी शुरू कर दी, आम तौर पर मरीजों और बूढ़ों का भोजन समझे जाने वाले इस व्यंजन पर इतनी कहानियां गढ़ दी गई कि लोगों के दिमाग में ही ‘खिचड़ी’ पक गई। हालांकि केंद्रीय खाद्य मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने स्पष्ट किया है कि ‘खिचड़ी’ को राष्ट्रीय भोजन घोषित किए जाने की योजना नहीं है, बल्कि विश्व रिकॉर्ड के लिए इसे भारत की ओर से फूड फेस्ट‍िवल में एंट्री दी गई है।

दाल—चावल : खिचड़ी, दाल व चावल को एक साथ मिलाकर बनाई जाती है, जो सेहत के दृष्टिकोण से काफी अच्छी मानी जाती है, ये आसानी से पच जाती है और इसी कारण डॉक्टर छोटे बच्चों, रोगियों और बुजर्ग लोगों को खाने की सलाह देते हैं।

मकर संक्रांति : बता दें कि भारत पंरपराओं और संस्कारों का देश है इसी कारण हर खाने-पीने की चीजों का संबंध यहां पर पर्व से होता है, तो भला ‘खिचड़ी’ कैसे इससे अछूती रह सकती है। उत्तर भारत में ‘मकर संक्रांति’ के पर्व को ‘खिचड़ी’ के नाम से ही जाना जाता है। इस दिन हर घर में ‘खिचड़ी’ बनना अनिवार्य होता है। इस दिन ‘खिचड़ी’ ​का दान भी किया जाती है।

दो परिवार : उत्तर भारत में जिस घर में शादी होती है तो शादी के दूसरे दिन समधी को भारत में ‘खिचड़ी’ खिलाने की एक अनूखी परंपरा है, इसके पीछे की वजह ये बताया जाती है कि जिस तरह से ‘खिचड़ी’ बनने के बाद दाल-चावल अलग नहीं हो सकते हैं, वैसे शादी होने के बाद दो परिवार अलग नहीं हो सकते हैं।

चावल-मूंगफली व करी पत्ते के साथ : भारत में कहते हैं कि कोस में पानी बदले चार कोस में वाणी ‘भाषा’ अर्थात चार कोस पर भाषा बदल जाती है, परंपराएं बदल जाती हैं और जायके भी बदल जाते हैं, ‘खिचड़ी’ के साथ भी कुछ इसी तरह का हाल है, नार्थ में जहां दाल-चावल-नमक और हल्दी के साथ ‘खिचड़ी’ पकती है वहीं दक्षिण भारत में ये चावल-मूंगफली और करी पत्ते के साथ बनाई जाती है।

अंग्रेजों के समय में खिचड़ी : एक इतिहास ये भी यह देखने को मिला है कि अंग्रेजों के जमाने में जब गेहूं पीसने में दिक्कत आती थी तब खिचड़ी कैदियों को खिलाने का एक बेहतर विकल्प था और तभी से जेल की खिचड़ी फेमस हो गई है।

बीमारियों से लड़ने में मदद करती है खिचड़ी : डॉक्टरों के मुताबिक खिचड़ी खाने के तीन बेहतरीन फायदे होते हैं, खिचड़ी कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, कैल्शियम, फाइबर्स, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस के गुणों से भरपूर होती है, आप चाहें तो इसमें विभिन्न प्रकार की सब्ज‍ियां मिलाकर इसके पोषक गुणों को और बढ़ा सकते हैं। ‘खिचड़ी’ शरीर को बीमारियों से सुरक्षित रखने में मददगार होती है। ‘खिचड़ी’ के नियमित सेवन से वात, पित्त और कफ का दोष दूर हो जाता है, ‘खिचड़ी’ शरीर को ऊर्जा तो देने का काम करती ही है।

खिचड़ी के चार यार :आपको बता दें कि खिचड़ी के बारे में एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है, जो कि सादी सी डिश का महत्व बढ़ा देती है। बता दें कि वह ये है ‘खिचड़ी’ के चार यार-घी, पापड़, दही और अचार।

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