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PMO पहुंचा उत्तराखंड के निजी मेडिकल कॉलेजों का मामला

देहरादून। राज्य के निजी मेडिकल कॉलेजों में सीट आवंटन के बावजूद एमबीबीएस में दाखिला न दिए जाने का मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुंच गया है। इस संबंध में अभिभावकों ने पीएम मोदी को पत्र भेजा है। साथ ही एक पत्र सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजा गया है।

उत्तराखंड , निजी मेडिकल कॉलेज में दाखिला, NEET, सुप्रीम कोर्ट, पीएम मोदीलगभग 81 छात्र-छात्राएं सरकार और निजी कॉलेजों के बीच इस तनाव की वजह से दाखिले से बाहर रह गए हैं। देशभर के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश अब राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा (NEET) के जरिए होता है।

राज्य में भी इस बार केंद्रीयकृत काउंसिलिंग के जरिये दाखिले किए जा रहे हैं। काउंसलिंग का पहला चरण तो संपन्न हो चुका है, पर कई छात्रों को सीट आवंटित होने और फीस जमा करने के बाद भी दाखिला नहीं मिला है।

आपको बता दें कि प्राइवेट मेडिकल कॉलजों में अभी तक साल 2012-2013 में निर्धारित शुल्क के आधार पर प्रवेश होते आए हैं। नए सिरे से फीस निर्धारित की जानी है लेकिन इसमें में लापरवाही बरती जा रही है। उस पर ये मेडिकल कॉलेज यूनिवर्सिटी के तहत संचालित होते हैं। ऐसे में विवि एक्ट की दुहाई देकर यह भी तर्क दिया जा रहा है कि फीस और सीट निर्धारण का अधिकार विश्वविद्यालय का है।

इस संबंध में सरकार के प्रतिनिधि और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के बीच एक राय नहीं बन सकी है। इस बीच SGRR मेडिकल कॉलेज की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने यह अंतरिम आदेश दिया था कि दाखिले राज्य सरकार के आदेशानुसार ही किए जाएं, लेकिन यह आदेश प्रवेश के अंतिम दिन आया।

इस पर एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज में 67 ही प्रवेश हुए हैं। वहीं, एक छात्रा की याचिका पर उच्च न्यायालय ने हिमालयन इंस्टीट्यूट को दाखिले का आदेश दिया था। मगर संस्थान ने उसी एक छात्रा को प्रवेश दिया जो कोर्ट गई थी। ऐसे में अब अन्य छात्र-छात्राओं ने पीएमओ से मदद की गुहार लगाई है।

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