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हर दूसरे व्यक्ति में एलर्जी कारक राइनाइटिस रोग मौजूद: IMA रिपोर्ट

नई दिल्ली। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) का कहना है कि देश के कुल आबादी के लगभग 20 से 30 प्रतिशत लोगों में एलर्जी कारक राइनाइटिस रोग मौजूद हैं। आईएमए के मुताबिक दो लोगों में से लगभग एक व्यक्ति आम पर्यावरणीय कारणों से किसी न किसी तरह की एलर्जी होती है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन , IMA, एलर्जी , राइनाइटिस रोग , आईएमए अध्यक्षआईएमए अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल ने कहा, “एलर्जिक राइनाइटिस होने पर नाक अधिक प्रभावित होती है। जब कोई व्यक्ति धूल, पशुओं की सूखी त्वचा, बाल या परागकणों के बीच सांस लेता है तब एलर्जी के लक्षण आते हैं। ये लक्षण तब भी हो सकते हैं जब कोई ऐसा खाद्य पदार्थ खाता है, जिससे उसे एलर्जी हो।”

एलर्जिक राइनाइटिस एक पुराना गंभीर सांस का रोग है, जो दुनिया भर की आबादी के एक तिहाई हिस्से को प्रभावित करता है। लोग इसे बीमारी की श्रेणी में नहीं रखते, इसलिए यह रोग बढ़ता चला जाता है।

उन्होंने कहना है कि शरीर में एलर्जी पैदा होने पर हिस्टामाइन रिलीज होता है, जो एक प्राकृतिक रसायन है। यह शरीर को एलर्जिन से बचाता है। जब हिस्टामाइन जारी होते हैं, तो ये एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षण की तरह आते हैं।

इसमें नाक बहना, छींकना और आंखों में खुजली शामिल है। अस्थमा या एटोपिक एक्जिमा होने पर भी अक्सर एलर्जी हो जाती है।

एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षण

छींकना, नाक से पानी बहना, खांसी, गले में खराश, खुजली और आंखों से पानी बहना, लगातार सिरदर्द, खुजली, पित्ती और अत्यधिक थकान इसके लक्षण हैं। कुछ बाहरी कारक इन लक्षणों को खराब कर सकते हैं जैसे धुंआ, रसायन और प्रदूषण आदि। एंटीहिस्टामाइंस, डिकंजस्टेंट्स और नाक में डालने वाला कॉर्टिकोस्टेरॉइड स्प्रे जैसी कुछ दवाएं एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। हालांकि ये केवल डॉक्टर के साथ परामर्श करके ही ली जानी चाहिए।

एलर्जिक राइनाइटिस से बचने के उपाय 

-परागकण वायुमंडल होने पर घर के अंदर रहें
-सुबह-सुबह बाहर जाकर व्यायाम करने से बचें
-बाहर से आने के तुरंत बाद एक शॉवर ले
-एलर्जी के मौसम में खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें
-बाहर निकलें तो मुंह और नाक को ढंक लें
-अपने कुत्ते को सप्ताह में कम से कम दो बार स्नान कराएं
-धूल के कणों को कम करने के लिए घर में कालीन न रखें

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