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ऑपरेशन प्रहार में नक्सली कमांडर हिडमा घायल

रायपुर । छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे ऑपरेशन प्रहार में 25 लाख रुपये के इनामी खूंखार नक्सली हिडमा गोली लगने से घायल हो गया। वह दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य और मिल्रिटी दल का कमांडर है। उसके अलावा कई और नक्सली घायल बताए जा रहे हैं। बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि 56 घंटे चले ऑपरेशन प्रहार के दौरान मारे गए 24 नक्सलियों के शव और घायलों को लेकर भागने में माओवादी कामयाब रहे।

हिडमा के घायल होने की खबर से माओवादी सकते में आ गए हैं। बताया जा रहा है कि बस्तर से हाल ही में एक कनाडाई नागरिक गायब हो गया था। उसके पीछे भी हिडमा का ही हाथ था, जिसकी देशभर में चर्चा हुई थी। हालांकि बाद में कनाडाई मूल के नागरिक को छोड़ दिया गया था। देशभर में नक्सलियों के खूनी खेल का गढ़ कहे जाने वाले बस्तर की कमान हिडमा के हाथ में है। हिडमा का पूरा नाम माडवी हिडमा उर्फ इदमुल पोडियाम भीमा है। उसके पिता का नाम पोडियाम सोमा उर्फ दुग्गावड़े है और मां का नाम पोडियाम भीमे बताया जाता है।

सरकारी रिकार्ड के मुताबिक, हिडमा सुकमा के जगरगुंडा इलाके के पलोडी गांव का रहने वाला है। माओवादियों के बीच हिडमा एक लोकप्रिय लड़ाका माना जाता है। हिडमा को गुरिल्ला वार में महारत हासिल है। काबिलियत के बूते ही उसे पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की बटालियन एक का कमांडर बनाया गया। बताया जा रहा है कि इस बटालियन के तहत तीन यूनिट्स काम करती है। हिडमा के नेतृत्व वाली ये बटालियन सुकमा और बीजापुर में सक्रिय हैं। हिडमा नक्सलियों की दंडकारण्य जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) का भी सदस्य है।

हिडमा का अपना परिवार भी है। उसने दो शादियां की हैं। पहली पत्नी बडेशट्टी अब उसके साथ नहीं रहती, जबकि दूसरी पत्नी राजे उर्फ राजक्का हिडमा उसकी बटालियन की हिस्सा है। हिडमा के तीन भाई भी हैं। तीन भाइयों में से दो भाई माडवी देवा और माडवी दुल्ला गांव में ही खेती का काम करते हैं, जबकि तीसरा भाई माडवी नंदा गांव में रहकर नक्सलियों को पढ़ाने का जिम्मा उठाता है।

हिडमा की बहन भीमे दोरनापाल में रहती है। बताया जाता है कि कई नक्सल ऑपरेशन को अंजाम दे चुका दारा कोसा हिडमा का चचेरा भाई है, जिसने आंध्र प्रदेश पुलिस के सामने सरेंडर किया था। हाल ही में 11 मार्च को सुकमा के भेज्जी में हुए नक्सल हमले के पीछे भी हिडमा का ही हाथ बताया जाता है।

इस हमले में सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हुए थे। साल 2013 में झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले में हुए हमले के पीछे भी हिडमा भी शामिल था। इस हमले में कांग्रेस नेताओं सहित 30 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 2010 में चिंतलनार के करीब ताड़मेटला में सीआरपीएफ के 76 जवानों की शहादत के पीछे भी हिडमा का ही दिमाग माना जाता है।

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