राष्ट्रीय

चरवाहों से रैकी के बाद सेना पर हमला

रायपुर | छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के दल पर हमला करने से पहले चरवाहों के जरिए रैकी कराई थी, और बड़ा नुकसान पहुंचाने की संभावना बनने पर ही ठीक उसी तरह के आधुनिक हथियारों से हमला बोला, जिस तरह के हथियार सुरक्षा बलों के पास होते हैं। यह खुलासा किया है हमले में घायल जवानों ने। एक घायल जवान ने हमले से पहले की स्थिति के बारे में संवाददाताओं को बताया, “गांव वाले नक्सलियों से मिले हुए हैं। हमला करने से पहले गांव वाले गाय-भैंस चराने के बहाने आए, और उन्होंने हमारी लोकेशन देखी। उन पर हम कोई कार्रवाई नहीं कर सकते थे, क्योंकि उनके हाथ में हथियार नहीं थे।”

जवान ने आगे बताया, “चरवाहों के जाने के लगभग 15 मिनट बाद तीन सौ काली वर्दीधारी नक्सलियों ने हमे चारों ओर से घेर लिया और हमारे ऊपर गोलीबारी शुरू कर दी। हमने भी बचाव में मुंहतोड़ जवाब दिया। इसमें 15-20 नक्सली मारे गए।”

घायल जवान ने कहा, “नक्सलियों के पास सारे स्वचालित हथियार थे – एके 47, एसएलआर, इंसास, रॉकेट लॉचर, मोर्टार। उनके पास वे सभी हथियार थे, जो सीआरपीएफ के पास हैं।” ज्ञात हो कि सोमवार को सुकमा जिले चिंतागुफा के पास बुरकापाल में रोड ओपनिंग के लिए निकली सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के जवानों पर नक्सलियों ने घात लगा कर हमला बोल दिया, जिसमें 26 जवान शहीद हो गए।

एक अन्य घायल जवान ने बताया, “दोरनापाल क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है और निजी श्रमिक काम कर रहे हैं, जिसे सीआरपीएफ को सुरक्षा प्रदान करना थी। इसके लिए सुबह पांच बजे हम लोग आधार शिविर से निकले थे। नक्सलियों ने पहले कुछ गांव वालों को भेजा फिर बर्दीधारी नक्सलियों ने हम पर हमला बोला, लगभग 300 सौ नक्सली थे, इसलिए नुकसान ज्यादा हुआ।”

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में काम कर चुके एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ कहा, “नक्सलियों के संघम सदस्य होते हैं, जो सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। उनका अपना खुफिया तंत्र होता है, वे उसे अपनी तरह से इस्तेमाल करते हैं। गांव वाले डर कर उनके साथ हो लेते हैं, इस मामले में भी ऐसा ही कुछ हुआ होगा। इसमें संदेह नहीं है।”

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