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नोटबंदी से बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता प्रभावित होगी : फिच

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चेन्नई | अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच के अनुसार, नोटबंदी और उसके बाद नकदी की कमी की वजह से भारतीय बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में सुधार में विलंब हो सकता है। फिच ने इससे पहले मौजूदा वित्त वर्ष की समाप्ति पर भारतीय बैंकों के संकटग्रस्त परिसंपत्ति का अनुपात 12 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया था, जिसमें थोड़ा और इजाफा हो सकता है। पिछले वित्त वर्ष में यह अनुपात 11.4 फीसदी था।
फिच ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है, “नोटबंदी के कारण उत्पन्न नकदी की कमी के चलते अनेक कर्जदार प्रभावित हुए हैं–उनकी आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ गई हैं–तथा लघु अवधि में भुगतान करने की उनकी क्षमता घटी है।” फिच के अनुसार, “भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कृषि और छोटे कारोबारों के लिए दिए गए कुछ कर्जो की वसूली में विलंब की अनुमति दी है, लेकिन भारतीय बैंकों द्वारा दिए गए कुल कर्जो का यह बहुत छोटा-सा हिस्सा है।”
अधिकांश सरकारी बैंकों ने भी सार्वजनिक तौर पर संकेत दिया है कि ऋण वसूली प्रभावित हुई है।
फिच के अनुसार, “हमारा अभी भी मानना है कि परिसंपत्ति गुणवत्ता संकेतक अपने सबसे निचले स्तर के करीब हैं और अगले कुछ वर्षो के दौरान इनमें धीरे-धीरे सुधार आएगा, लेकिन किसी तरह के बड़े सुधार में भी कम से कम दो तिमाही का समय लगेगा।”
फिच की रपट में कहा गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष में ऋण की वृद्धि दर पूर्व लगाए गए 10 फीसदी के अनुमान से भी कम रहेगा और इसके 2015-16 वित्त वर्ष के 8.8 फीसदी से भी नीचे जाने की संभावना है। यदि बैंक कर्ज दरों में कटौती करते हैं तो ऋण वृद्धि दर में सुधार हो सकता है और बैंकों में जमा हुई प्रचुर राशि के चलते इसके भरपूर अवसर भी हैं।

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