अन्तर्राष्ट्रीय

चीन में फैली रहस्मयी बीमारी से केंद्र सरकार अलर्ट, राज्यों को दिए ये निर्देश

नई दिल्ली। कोरोना महामारी का दर्द दुनियाभर में लोग अभी भूले नहीं हैं। खासतौर से भारत में जिन लोगों ने अपनों को खोया है वो अब भी उस दुःख से उबर नहीं पाए हैं। अब उत्तरी चीन के लिओनिंग में एक रहस्यमयी निमोनिया की पहचान की गई है, जिससे बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लग रही है। इस निमोनिया की संवेदनशीलता को देखते हुए उसी संस्था ने फिर से अलर्ट जारी किया है, जिसने कोरोना वायरस को लेकर दुनिया को सबसे पहले आगाह किया था।

इस बीमारी के बढ़ते प्रकोप के चलते चीन के उत्तरी हिस्से में स्कूलों को बंद करना पड़ा है। चीन के स्वास्थ्य आयोग ने कहा कि रोगाणुओं का संयोजन तीव्र श्वसन संक्रमण में वृद्धि का कारण बन रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के प्रवक्ता मी फेंग का कहना है क‍ि इन्फ्लुएंजा, मामलों में बढ़ोतरी के मुख्य कारणों में से एक है. उनका कहना है क‍ि राइनोवायरस, माइकोप्लाज्मा निमोनिया और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस भी फैल रहे हैं।

भारत सरकार अलर्ट मोड में

वहीं भारत सरकार भी इस खतरे को देखते हुए अलर्ट मोड में आ गई है। केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर अस्पताल की तैयारियों की समीक्षा करने के सख्‍त न‍िर्देश द‍िए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भी कहा है क‍ि स्वास्थ्य मंत्रालय चीन में बच्चों में फैली सांस की बीमारी के मामलों में वृद्धि पर करीब से नजर रख रहा है।

मंत्रालय की ओर से पत्र में सभी राज्‍यों को यह खास न‍िर्देश द‍िया है क‍ि वो अस्‍पतालों में मौजूदा स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं का बारीकी से न‍िरीक्षण करें. साथ ही इन्फ्लूएंजा और सर्दियों के मौसम में ज्‍यादा सावधानी बरतने की सलाह भी दी गई है। मंत्रालय ने राज्यों से अपने अस्पताल की तैयारी के उपायों में जैसे कि अस्पताल बेड्स उपलब्‍धता, इन्फ्लूएंजा के लिए दवाएं और टीके, चिकित्सा ऑक्सीजन, एंटीबायोटिक्स, पीपीई आदि की जांच करने को व‍िशेष तौर पर कहा गया है।

इससे पहले मंत्रालय की ओर से कहा गया था क‍ि रहस्‍यमयी निमोनिया से भारत को खतरा कम है लेकिन सरकार हर तरह की आपात स्थिति के लिए तैयार है। बच्चों और किशोरों में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी और गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी के सभी मामलों की निगरानी की जानी चाहिए। पत्र में गले के स्वाब के नमूनों को रोगाणुओं के परीक्षण के लिए भेजने की जरूरत पर भी व‍िशेष बल द‍िया गया है।

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