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जानें ED की छापेमारी में मिली करोड़ों की नकदी का क्या होता है?

इंडिया में हर साल ना जाने कितने सरकारी अधिकारियों से लेकर राजनेताओं और बड़े से बड़े व्यापारियों के घरों में छापेमारी की जाती है, इस दौरान कहीं करोड़ों तो कहीं अरबों रुपए की नगदी पकड़ी जाती है। अभी हाल ही में ईडी (Enforcement Directorate Raids) ने 2 जगहों पर छापेमारी के दौरान 21 करोड़ से लेकर ₹50 करोड़ रूपये तक कैश बरामद किए। इसके अलावा ED द्वारा इतनी ज्यादा मात्रा में जो नकदी बरामद की जाती है उसे गिनने के लिए चार -चार कैश काउंटिंग मशीनें भी लगानी पड़ जाती हैं।

पैसे गिनते-गिनते थक गई मशीनें:

अभी हाल ही में 21 जुलाई 2022 को ईडी ने पश्चिम बंगाल के मशहूर टीचर भर्ती घोटाले की आरोपी मॉडल अर्पिता मुखर्जी के घर पर छापेमारी की थी जहां से ₹50 करोड़ रुपए की नकदी बरामद की गई थी। इस दौरान ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के पहले ठिकाने पर रेड मारी तो वहां से ₹21 करोड़ कैश बरामद किए। इसके बाद अर्पिता मुखर्जी के दूसरे ठिकाने पर रेड मारी तो वहां से भी भारी मात्रा में कैश बरामद हुई। इन दोनों छापेमारी में करीब ₹50 करोड़ की नकदी बरामद की गई जिसे गिनने के लिए 4 काउंटिंग मशीन तक लगानी पड़ गई और इन नोटों को गिनने में करीब 10 घंटे तक लग गए।

आपको बता दें जैसा कोई पहला मामला नहीं है जिसमें इतनी नकदी बरामद हुई हो बल्कि इससे पहले दिसंबर 2021 में कानपुर के एक चित्र कारोबारी ट्यूशन के घर से करीब 284 करोड़ रुपए की नकदी बरामद की गई थी जिसे देख लोग सकते में आ गए थे क्योंकि इंसान तो इंसान बल्कि इन पैसों को गिनते गिनते मशीनें तक थक चुकी थीं। इससे पहले भी एक मामला नवंबर 2021 में हुआ था जहां कर्नाटक के कुल बुर्गी मैं एक इंजीनियर के घर पर छापेमारी के दौरान पानी के पाइप से पानी तो नही निकला लेकिन कम से कम करोड़ों रुपए जरूर बह निकले।

आखिर क्या होता है छापेमारी में मिली इन रकमों का ?

अब सोचने वाली बात यह है की नोटबंदी होने के बाद और लोगों में बढ़ रहे डिजिटल लेनदेन के बावजूद इतनी भारी मात्रा में लोगों के पास यह ब्लैक मनी कहां से आता है और ईडी की छापेमारी में मिली इस नगदी का क्या किया जाता है? तो चलिए इसका जवाब हम आपको देते हैं,

  • दरअसल ईडी और इनकम टैक्स विभाग के द्वारा छापेमारी में बरामद की हुई नगदी को सबसे पहले सीज किया जाता है और फिर इनकम टैक्स विभाग की सेफ कस्टडी में इसे रखा जाता है।
  • इसके बाद पहले इसे आयकर निदेशक जांच के व्यक्तिगत जमा (पीडी) खाते खाते में और फिर सेंट्रल सर्कल के आयुक्त के (पीडी) खाते में यह नकदी जमा कर दी जाती है जहां से मामले का मूल्यांकन होता है.
  • यह (पीडी) खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया या किसी अन्य अधिकृत बैंक के साथ एक ब्याज मुक्त खाता होता है।
  • अब आयकर विभाग आरोपी को नोटिस भेजता है जिसमें यह लिखा होता है कि क्या-क्या और कितनी संपत्ति सीज की गई है।
  • इस प्रक्रिया के बाद आरोपी को पैसे का सोर्स एवं उसका लेखा-जोखा और टैक्स भरा है या नहीं, यह सब बताने का वक्त दिया जाता है।
  • यदि आरोपी के घर से बरामद कैश (Black Money) काला धन ना होकर वाइट मनी है, उस पर टैक्स भरा गया है, वो आयकर या GST रिटर्न में घोषित ऐसेट है तो उन्हें ये साबित करना होगा।
  • जब आरोपी जवाब दाखिल कर देता है तब इस बात की जांच होती है यह रकम वाकई में डिक्लेयर्ड इनकम हैं या नहीं मतलब टैक्स भरा गया है या नहीं।
  • जांच के बाद आरोपी जो भी डाक्यूमेंट्स सबमिट करता है उसका वेरिफिकेशन किया जाता है,फिर उसका एसेसमेंट होता है।
  • फिर जारी हुए असेसमेंट आर्डर में ये उल्लेखित होता है कि जप्त किए गए ऐसेट/रकम वाकई में डिक्लेयर्ड इनकम है या उन पर टैक्स की चोरी की गई है।
  • सीज किया हुआ कैश अमाउंट व अन्य एसेट पर कितना टैक्स बनेगा और कितना जुर्माना लगेगा यह बातें इसी एसेसमेंट ऑर्डर में लिखी होती है।

अपीलों का सिलसिला चालू : विभाग ने उसकी अपील वैलिड नहीं मानी तो फिर उसके

अब इस मामले में अपीलों का सिलसिला चालू हो जाता है क्योंकि जांच व एसेसमेंट में जो भी परिणाम आते हैं अगर उसमें आरोपी बच निकला तो वे छापेमारी में बरामद रकम को वापस पाने के लिए अपील करेगा, लेकिन यदि विभाग उसकी अपील को वैलिड नहीं मानता है तो फिर ‘इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल’ में अपील की जा सकती है,यदि यहां पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई तो तब बात आ जाएगी हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की। जैसा कि आप सब जानते हैं कि कोर्ट के फैसले आने में बरसों तक लग जाते हैं और इस दौरान टैक्स अधिकारियों को भी आरोपी के खिलाफ अपील करने का मौका मिल जाता है।

आखिर इतने सारे पैसों का होता क्या है ?

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के द्वारा जो भी राशि जब्त की जाती है उसे विभाग के द्वारा बनाए गए एक सीक्रेट फंड में जमा कर दिया जाता है इस तरह के फंड को एसबीआई (SBI) के पास बनाए गए बैंक खाते के रूप में रख लिया जाता है। अब सारा पैसा तो बैंक खाते में जमा हो जाता है, जिसके चलते पैसा फिर से बैंकिंग चैनल में आ जाता है अतः यह भी कहा जा सकता है कि पैसा बाजार में आ जाता है क्योंकि आयकर विभाग द्वारा जब्त की जा रही सभी नई नगदी बैंक में ही जमा की जा रही है और बैंक इन रकमों का इस्तेमाल लोगों को सैलरी के रूप में दे रहा है, और तो और आयकर विभाग द्वारा जो भी राशि जब्त की गई होती है उसे अंत में केवल ‘इलेक्ट्रॉनिक मनी फॉर्म’ में ही रखा जाता है जिससे कि वह नदी अन्य ग्राहकों को वितरित की जा सके।

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