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योग पूजा-पाठ नहीं पूर्वजों की विद्या, जानें भ्रमित करने वालों के लिए क्या बोले बाबा रामदेव

8वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पतंजलि ने देशभर में 75 प्रमुख स्थानों, 500 जिलों और पांच हजार तहसीलों में करीब 20 करोड़ लोगों को योग से जोड़ा। योग गुरु स्वामी रामदेव ने हरिद्वार स्थित पतंजलि से योग साधकों के साथ योगासन किया। आचार्य बालकृष्ण ने नई दिल्ली स्थित लालकिला परिसर में योगाभ्यास कराया।

स्वामी रामदेव ने कहा कि योग पूजा-पाठ नहीं बल्कि पूर्वजों की विद्या है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से पूर्व सोमवार को पतंजलि में योगाभ्यास करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि योग शारीरिक, मानसिक, अध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक मांग है। इससे बीमारियों पर नियंत्रण होता है। योग के विभिन्न पहलू हैं। सभी पहलुओं को सबको समझाएंगे।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने भ्रांति फैलाई है कि योग केवल योगियों, गुफाओं और कंदराओं में रहने वालों को करना चाहिए। फलां मजहब के लोगों को नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 175 देशों ने योग को अपनाया है। इनमें कम्युनिस्ट और इस्लामिक देश भी हैं। दुनिया मानती है कि योग मजहबी विद्या नहीं है।

योग आरोग्य की आत्मनिर्भरता का सूत्र
योग गुरु ने कहा कि योग आरोग्य की आत्मनिर्भरता का सूत्र है। कोरोनाकाल में दुनिया ने योग के महत्व को समझा है। योग करना और कराना उनका परम धर्म है। यही सेवा, राष्ट्र और मानवता का धर्म है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि योग भारत की विधा है।

पूरी दुनिया में योग पहुंचता है तो भारत और भारतीयों के लिए गौरवशाली क्षण होगा। उन्होंने कहा कि 8वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर योग जरूर करें ताकि दुनिया में संदेश जाए कि जहां से योग विद्या शुरू हुई वहां का हर व्यक्ति योग करता है और योग के प्रति समर्पित है।

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