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लूडो खेलने से नाराज पिता ने बेटे को मार डाला, नदी किनारे दफनाया शव

लखनऊ में बीते दिनों एक ऐसी खबर सामने आई, जिसे सुनकर हर कोई सिहर उठा। एक बच्चे के हाथों उसकी मां का खून हो जाना। वह भी इस वजह से कि मां ने पबजी खेलने से मना कर दिया था! इस खबर ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया। हर कोई सन्न रह गया। एक तरफ जहां सभी की जुबां पर इस घटना का जिक्र था की बेटे ने मां का कत्ल कर दिया वहीं दूसरी ओर किसे पता था कि ऐसी ही एक और घटना को अंजाम दिया जा रहा है।

हम बात कर रहे हैं यूपी के आजमगढ़ जिले की जहां एक पिता ने अपने 8 साल के बेटे को पीट पीटकर मार डाला। उसका कसूर इतना था कि वह अपने फोन पर लूडो गेम खेल रहा था l वह बच्चा दूसरी कक्षा में पढ़ता था।

जी हां, आजमगढ़ के रौनापार थाना क्षेत्र में महुला बगीचा गांव में एक पिता अपने बेटे द्वारा मोबाइल पर लूडो खेले जाने से इस कदर नाराज हो गया कि उसने पीट-पीटकर उसकी जान ले ली।

इसके बाद भाई व पड़ोसी की मदद से शव को नदी किनारे दफन कर दिया। पत्नी को भी किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी। इसकी जानकारी मायके वालों को हुई तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी।

पुलिस ने पिता को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो वह टूट गया और दफनाए गए शव को बरामद करवा दिया। महुला बागीचा गांव निवासी धर्मवीर उर्फ लकी (8) शनिवार को घर के पास ही बकरी चरा रहा था। इस दौरान वह मोबाइल पर लूडो खेल रहा था। पिता जितेंद्र ने उसे लूडो खेलते देख लिया तो जमकर पीटा और फिर कमरे में ले जाकर बंद कर दिया।

रात करीब साढ़े नौ बजे उसकी बंद कमरे में मौत हो गई। इसके बाद पिता ने पत्नी बबिता को किसी से बताने पर जान से मारने की धमकी दी। फिर भाई उपेंद्र व पड़ोसी रामजनम की मदद से बच्चे का शव बोरे में भर कर महुला देवार गांव में घाघरा किनारे ले जाकर दफन कर दिया। मंगलवार को किसी माध्यम से सूचना बच्चे के ननिहाल पहुंची।

इस पर उसकी नानी ने सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने जितेंद्र को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो वह टूट गया और घटना बताने के साथ बच्चे का शव भी बरामद करा दिया। एसओ अखिलेश चंद्र ने बताया कि आरोपी पिता को हिरासत में ले लिया गया है और पूछताछ की जा रही है।

यह खबर मामूली नहीं है. यह ऐसी खबर नहीं है, जिसे केवल पढ़ कर आगे बढ़ जाया जाए या नजरअंदाज कर दिया जाए. इस खबर को आपको सोचने पर मजबूर कर देना चाहिए कि हम आज बच्चों के लिए कैसी स्थिति पैदा कर रहे हैं, कैसा वातावरण बना रहे हैं। इसके साथ ही माता पिता को भी आवेश में आकर बच्चे को मारने पीटने के बजाए सोचना चाहिए की आखिर उसे कैसे समझाया जा सकता है।

उसे गाली देकर या कुछ भद्दा देकर तो नहीं समझाया जा सकता है। क्योंकि बच्चे को जहां भी हिंसा का मॉडल मिलता है वहां बच्चा यह सीखता है कि यह चीज तो बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। आप जब अपने बच्चे से प्यार से समझा रहे हैं या गुस्सा भी प्यार से कर रहे हैं तो बच्चा यह सीखता है कि उसे कहां गुस्सा होना है और चुपचाप रहने का बर्ताव करना है।”

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