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बूंदो का आकार तय करेगा हवा में कोरोना वायरस का संक्रमण, पढ़ें पूरी खबर

अभी तक के आंकड़ों की बात करें तो पूरे देश में कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की संख्या 7447 हो चुकी है। जिनमें से 29 लोगों की मौत हो चुकी हैं।

इस वायरस को लेकर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं कि क्या यह वायरस हवा में एक जगह से दूसरी जगह तक जा सकता है या नहीं।

लेकिन न्यूयॉर्क के सिटी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह बात पता लगाई है कि यह बात छींक से निकली बूंद के आकार पर निर्भर करता है कि वह कितनी देर तक हवा में रह सकती है।

दरअसल 50 माइक्रॉन से बड़े आकार की बूंद को डेढ़-दो मीटर की ऊंचाई से जमीन पर आने में आधा सेकंड लगता है। इनका आकार जितना छोटा होता है, वे उतने अधिक समय हवा में बनी रहती हैं। 0.5 माइक्रॉन की बूंद को जमीन पर आने में 16.6 घंटे तक लग जाते हैं। इन वैज्ञानिकों ने 12 से 21 हजार इस प्रकार की बूंदों का अध्ययन करते हुए दावा किया कि इनके जरिए वायरस का सीधा संक्रमण संभव है।

कोरोना
फोटो-गूगल

उनकी मानें तो सुखी हवा में इस वायरस का असर तुरंत नहीं होता। आप समझ लीजिए कि जैसे कुछ दूरी पर खोली गई इत्र की बोतल से निकली खुशबू हवा के जरिए आप तक पहुंचती है, यह भी पहुंच सकते हैं।

हवा में बूंदों से बने एयरोसोल के जरिए संक्रमण संभव है। यहां से सांस लेने, बातचीत, छींकने और खांसने के दौरान निकले द्रव के वायरस से संक्रमण हो सकता है। इसमें वायरस, फंगस और बैक्टीरिया हो सकते हैं। सूक्ष्म कणों के हवा के साथ बहाव को भौतिक विज्ञान में ब्राउनियन मोशन कहते हैं।

हवा गर्म से ठंडे भाग की ओर जाती है तो एयरोसोल और वायरस भी उसके साथ चलते हैं। छींक या खांसी से निकलीं बूंदें कमरे के दूसरे हिस्से में पहुंच सकती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ मीटर फासला रख कर संक्रमित के वायरस से बचा नहीं जा सकता। मॉल, रिटेल स्टोर, ऑफिस और मीटिंग रूम में इनके जरिए संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है।

लेकिन रिपोर्ट्स की मानें तो अभी तक जितने भी मामले कोरोना वायरस के सामने आए हैं उनमें से ऐसा कोई भी मामला हवा में वायरस फैलने से नहीं आया है।

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