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कोरोना वायरस के नए लक्षण देख के वैज्ञानिक खौफ में

चीन से निकले कोरोना वायरस ने अब पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। तेजी से फैलती इस महामारी ने भारत में पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। फिलहाल अभी तक इस बीमारी की कोई दवा नहीं बन पायी है।

इस जानलेवा वायरस से बचने के लिए सिर्फ लोगों से एक दूसरे से दूरी बनाकर रखने के लिए कहा जा रहा है। अभी तक की जानकारी के  हिसाब से इसके लक्षण आम सर्दी जुकाम की ही तरह हैं।

वायरोलॉजिस्ट हेंड्रिक स्ट्रीक ने जर्मन मीडिया से बातचीत में माना कि कोरोना वायरस की वजह से हाल के वर्षों की तुलना में 2020 में ज्यादा लोगों के मरने की आशंका है।

जर्मनी की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी ने चेतावनी दी है कि ये संकट दो वर्ष तक रह सकता है। जर्मनी में कोरोना वायरस के 7,000 मामले आ चुके हैं जबकि अब तक 44 लोगों की मौत हो चुकी है।

बुखार आना, गले में खराश होना, सूखी खांसी और मांसपेशियों में दर्द होना इसके लक्षण हैं लेकिन अब इसके कुछ नए लक्षण भी दिख रहे हैं, जिसने वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस के मरीजों के सूंघने की क्षमता इतनी खराब हो जाती है कि वो अपने बच्चों के गंदे डायपर भी नहीं सूंघ पाते हैं।

हेंड्रिक स्ट्रीक ने बताया कि हमने कोरोना वायरस से संक्रमित लगभग सभी लोगों का इंटरव्यू किया। इसमें से दो तिहाई लोग ऐसे थे जिन्हें कई दिनों से न तो किसी चीज का स्वाद पता चल पा रहा था और ना ही ये किसी भी गंध को सूंघ पा रहे थे।

स्ट्रीक ने कहा, ‘यह लक्षण शरीर में इतना बढ़ जाता है कि एक मां भी अपने बच्चे के डायपर को नहीं सूंघ पाती है। लोग शैंपू की सुगंध और खाने का स्वाद भी नहीं महसूस कर पाते हैं।’

स्ट्रीक के अनुसार, ‘हम अभी ठीक से यह नहीं बता सकते हैं कि ये लक्षण कब दिखाई देने शुरू होते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि ये लक्षण संक्रमण फैलने के थोड़ी देर बाद ही शरीर में आने लगते हैं।’

इन लक्षणों में डायरिया भी एक आम लक्षण हो सकता है। स्ट्रीक ने कहा, ‘हमारी जांच में पता चला कि कोरोना वायरस के 30 फीसदी मरीज डायरिया से भी पीड़ित थे।

जर्मनी की तुलना में कोरोना वायरस से इटली में हो रही ज्यादा मौतों पर स्ट्रीक ने कहा, ‘मुझे बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं हो रहा है क्योंकि इटली में केवल बहुत गंभीर लक्षण वालों के ही टेस्ट किए जा रहे हैं।’

चीन में भी, शुरुआत में मौतों की संख्या तेजी से बढ़ी थी क्योंकि वहां भी आम संक्रमित लोगों की संख्या पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा था।

शेन्झेन में हाल में की गई एक स्टडी में भी यह बात सामने आई है कि वयस्कों के मुकाबले बच्चे ज्यादा तेजी से संक्रमण का शिकार हो रहे हैं लेकिन उनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं के बराबर या बहुत हल्के दिखाई दे रहे हैं।

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