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ये है भारत की पहली महिला जिसको होगी फांसी! जानिए क्यों दी गई है सजा

उत्तर प्रदेश का एक ऐसा गांव जिसके लोग आज भी दशहत में हैं। आज उस मामले को दस साल हो चुके हैं लेकिन कोई भुला नहीं पाया, जब एक ही परिवार के 7 लोगों एक साथ मौत हो गई थी। हत्या का कारण और कोई नहीं बल्की उनकी ही बेटी शबनम है। उस गांव के लोग आज भी अपनी बेटी का नाम शबनम रखने से कतराते हैं। फिलहाल शबनम को फांसी की सजा सुनाई गई है।
इस घटना के बाद पुलिस का सीधा शक शबनम के उपर गया। बाद में छानबीन के बाद पता चला की वो अपने आशिक के साथ भाग गई है। पुलिस ने दोनों को खोज निकाला और फिर पूछताछ करने के बाद शबनम ने जो कबूला उसे सुन कर पुलिसवालों के दांत भी खट्टे है गए।

उसने बताया कि घर छोड़ने से पहले अपने ही परिवार के 7 लोगों का गला रेत कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना के कारण उन सभी लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। मामले के खुलासे के 2 साल बाद अमरोहा की एक अदालत ने शबनम को मौत की सज़ा सुनाई, जिसके बाद इलाहाबाद की हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी की सजा पर मोहर लगा दी।

यह पूरा मामला अमरोहा का है जहां जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर हसनपुर थाना क्षोत्र के बावनखेड़ी गांव में 14 और 15 अप्रैल की रात का है। इस गांव के लोगों ने इस घटना के बाद अपनी बेटियों का नाम “शबनम” रखना ही बंद कर दिया है। आज भी उत्तरप्रदेश की यह घटना सबसे दर्दनाक और भयानक घटनाओं की लिस्ट में शामिल है, जिसे पूरा देश जानता है।

आज इस मामले को 10 साल 8 महीने हो रहे हैं। राष्ट्रपति ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को बरकरार रखा है। अब एक बार फिर शबनम ने सुप्रीस कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली है, जिस पर इसी महीने फैसला आना है।

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