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पहाड़ के किसानों के लिए खुशखबरी, शुरू होगी समेकित सहकारी विकास परियोजना

सहकारी, कृषि, उद्यान, मत्स्य और डेयरी क्षेत्रों को मिलेगा फायदा

” समेकित सहकारी विकास परियोजना किसानों की आय दोगुनी करने में महत्वपूर्ण साबित होगी। इससे राज्य के 50 हज़ार किसानों को फायदा मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।” सचिवालय में मीडिया से औपचारिक वार्ता कर रहे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रेस वार्ता में बताया कि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के सहयोग से 3,632 करोड़ रूपए की समेकित सहकारी विकास परियोजना को प्रदेश में लाया जा रहा है। एनसीडीसी की वित पोषित इस योजना में 80 प्रतिशत ऋण के रूप में जबकि 20 प्रतिशत अनुदान के रूप में होगा। इसमें काॅपरेटिव व कॉर्पोरेट में समन्वय पर भी बल दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने गुरूवार को मीडिया सेंटर में कहा है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए राज्य में जल्द ही राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने सहायतित राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना की शुरूआत की जाएगी। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के सहयोग से 3,632 करोड़ रूपए की समेकित सहकारी विकास परियोजना को प्रदेश में लाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को पूरा करने में यह परियोजना महत्वपूर्ण साबित होगी। इस परियोजना को सफल बनाने में सहकारी, कृषि, उद्यान, मत्स्य, डेयरी व सम्बन्धित विभागों की अहम भूमिका होगी।

इस परियोजना से प्रदेश के 50 हज़ार किसानों को फायदा होगा। इस परियोजना से काॅर्पोरेट से काॅपरेटिव व काॅपरेटिव से काॅर्पोरेट के रास्ते खुलेंगे। इस परियोजना के लिए परियोजना निदेशालय बनाया जाएगा।

इस कार्यक्रम को आईसीडीपी योजना के तहत राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) से वित्त पोषण में सहायता मिलेगी, जहां प्राविधानित राशि का 80 प्रतिशत ऋण और 20 प्रतिशत अनुदान के रूप में होगा। यह कार्यक्रम तीन चरणों में चलाया जाएगा। पहले चरण में बहुद्देशीय सहकारी समितियों और उनके जिलास्तरीय व शीर्ष निकाय, कृषि, उद्यान, जड़ी-बूटी, रेशम, सगंध पौध जैसी का सहकारी सामूहिक खेती ने वृहद उत्पादन, परिवहन, विपणन, दुग्ध विकास, पशुपालन व मतस्य पालन की विशेष त्रिस्तरीय सहकारी संस्थाओं की आवश्यकताओं को शामिल किया गया है।

आईसीडीपी के माध्यम से उत्तराखंड राज्य के विकास के कार्यक्रम की विशिष्टता के दृष्टिगत परियोजना इस प्रकार तैयार की गई है कि मूल्य श्रृंखला में ‘खेतों से लेकर बाजार तक’ चुनौतियों को पहचाना जा सके और उनका उचित निदान किया जा सके।

किसानों की छोटी-छोटी जोत को शामिल कर संयुक्त सहकारी खेती के माध्यम से वृहद स्तर पर फसलों की खेती में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। सहकारी संस्थाओं और निगमित निकायों (काॅर्पोरेट) के संयुक्त उद्यम ने उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने, बाजार पहुंच में सक्षम होने व किसानों को फसल मूल्य अधिक प्राप्त होने में कारगर साबित होगी।

इस परियोजना में शीर्ष निकायों यूसीएफ, यूसीबी, और नव निर्मित पीसीयू को संरचनात्मक व प्रभावी रूप से मजबूत करने की व्यवस्था की गई है।

इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन से पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों को निम्न स्तरीय रोजगार की तलाश में जबरन पलायन होने से रोका जा सकता है। डीपीआर में बहुद्देशीय सहकारी समितियों और अन्य विशेष सहकारी संस्थाओं के लिए वृहद आवंटन की सिफारिश की है।

” सहकारी समितियों की नवीन संरचना के लिए पहल की दिशा में लगभग तीन-चार करोड़ रूपए आवंटित किए जाएंगे। ई-मंडी, शीत श्रृंखला, रसद, गोदामों के कनेक्टिविटी इत्यादि के साथ कृषि उपकरण, खरीद केंद्र, सौर उर्जा बाड़ लगाने, आईटी व इंटरनेट सुविधाओं के माध्यम से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा।” सीएम त्रिवेंद्र ने आगे कहा।

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