Main Slideराष्ट्रीयव्यापार

पिछले वर्ष की तुलना में 49 फीसदी घटा कपास का रकबा

देश में अब तक महज 63 लाख हेक्टेयर में हुई कपास की बुवाई

मानसून समय से पहले आने और उपज का बेहतर दाम मिलने के बावजूद चालू सत्र में कपास की बुवाई सुस्त पड़ गई है। देशभर में अब तक महज 63 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई हो पाई है,जबकि पिछले साल 123 लाख हेक्टेयर से ज्यादा कपास का रकबा हो चुका था।

जानकार बताते हैं कि पिछले साल महाराष्ट्र और तेलंगाना में पिंक बॉलवर्म के प्रकोप में कपास की फसल खराब हो गई थी। इस वजह से शायद कपास की खेती में किसानों की दिलचस्पी कम हो गई हो। वहीं पंजाब में बासमती की खेती में किसानों की दिचलस्पी ज्यादा होने से कपास का रकबा लक्ष्य से कम है। लेकिन हरियाणा में लक्ष्य से ज्यादा कपास का रकबा हो चुका है।

हालांकि कई लोग बताते हैं कि कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार ने 1130 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा दिया है। इससे किसानों की दिलचस्पी बढ़ जाएगी और आने वाले दिनों में कपास के रकबे में सुधार आएगा। इसके अलावा मानसून समय से पहले आने के बावजूद बीते हफ्ते तक मानसून की रफ्तार सुस्त थी,जिसने अब जोड़ पकड़ा है। गुजरात के सौराष्ट्र में देर से बारिश शुरू हुई है और विदर्भ में भी पिछले दिनों हुई बारिश के बाद कपास की बुवाई में तेज़ी आएगी।

देशभर में 10 जून 2018 तक कपास का रकबा चालू सीजन 2018-19 में महज 63.08 लाख हेक्टेयर था, जबकि इसी अवधि में पिछले साल कपास का रकबा 123.50 लाख हेक्टेयर था। इस प्रकार पिछले साल के मुकाबले कपास का रकबा 48.92 फीसदी पिछड़ा हुआ है।

उत्तर भारत में पंजाब में 2.85 लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 6.65 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 11.44 लाख हेक्टेयर महाराष्ट्र में 19.57 लाख हेक्टेयर, मध्यप्रदेश में 4.87 लाख हेक्टेयर तेलंगाना में 8.8 लाख हेक्टेयर आंध्रप्रदेश में 0.79 लाख हेक्टेयर, तमिलनाडु में 0.032 लाख हेक्टेयर, ओडिशा में 0.076 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 2.22 लाख हेक्टेयर और अन्य प्रांतों में 0.172 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हुई है।

केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह मध्यम रेशा वाले कपास का एमएसपी 4020 रुपसे से बढ़ाकर 5150 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया और लंबे रेशा वाले कपास का एमएसपी 4,320 से बढ़ाकर 5,450 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close