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सरस्वती नदी का अस्तित्व बचाने के लिए हो रहा तकनीकी का प्रयोग

हरियाणा सरकार ने प्राचीन सरस्वती नदी को फिर से जीवित करने का लिया लक्ष्य

हरियाणा सरकार ने प्राचीन सरस्वती नदी को फिर से जीवित करने का बीड़ा उठाया है। इस काम को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

प्रदेश सरकार इस परियोजना को अमलीजामा पहनाने को लेकर ‘मिशन मोड’ में है। सरकार ने इसके लिए 50 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इस दिशा में काम में तेजी लाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच), नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी), भारतीय भूवज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) को जिम्मेदारी दी गई।

प्रदेश की कला व संस्कृति मंत्री कविता जैन ने कहा कि हरियाणा सरकार सरस्वती नदी को पुनरुज्जीवित करने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है। नदी भारत की राष्ट्रीय धरोहर है। मंत्री ने कहा कि सरस्वती नदी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है और इसको नया जीवन प्रदान करने के लिए समेकित प्रयास की जरूरत है, जिससे भारत दोबारा विश्वगुरु का दर्जा हासिल कर पाएगा। इसरो पिछले 20 साल से सरस्वती नदी पर कार्य कर रहा है।

राज्य सरकार ने अवसाद से भरे होने से विलुप्त हो चुकी नदी की धारा के अन्वेषण और सरस्वती नदी के जल विज्ञान संबंधी पहलुओं के अध्ययन के लिए दो एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। करार पर हस्ताक्षर हरियाणा सरस्वती विरासत विभाग बोर्ड (एचएसएचडीबी) और इसरो ने हस्ताक्षर किए हैं।

जल-भू विज्ञान प्रतिदर्श और भू-अंतरिक्ष तकनीक के माध्यम से सरस्वती नदी के जलग्रहण क्षेत्र के जल संतुलन का अध्ययन किया जाएगा। यह काम वर्ष 2018 से लेकर 2020 तक चार चरणों में किया जाएगा। कविता ने कहा कि यह गर्व की बात है कि आदि भारती इस नदी का उद्गम बिंदु हैं। प्राचीन काल में हमारे वेदों की रचना इसी नदी के तट हुई थी। सरस्वती नदी हरियाणा से होते हुए राजस्थान को जाती थी।

भाजपा सरकार पौराणिक नदी की खोज के सिलसिले में अप्रैल, 2015 में हरियाणा के यमुनानगर जिला स्थित रोहलाहेरी गांव में सिर्फ सात फीट की खुदाई पर पानी मिलने से उत्साहित हुई। सरस्वती नदी की खुदाई को लेकर अपने स्पष्ट इरादे के साथ मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की अध्यक्षता में सरकार ने सरस्वती नदी के उद्गम स्थान कुरुक्षेत्र से युद्ध स्तर पर करवाने के निर्देश दिए।

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