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राहुल युग की शुरुआत लेकिन चुनौतियों का अम्बार

 

नई दिल्ली। राहुल गांधी ने शनिवार को देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस का अध्यक्ष पद ग्रहण कर लिया। पिछले 19 सालों से उनकी मां सोनिया गांधी के हाथों में कांग्रेस की बागडोर थी, जिसे शनिवार को उन्होंने अपने बेटे को सौंप दी। इस मौके पर कांग्रेस मुख्यालय के बाहर जश्न का माहौल देखने को मिला। पद ग्रहण समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, प्रियंका वाड्रा, राबर्ट वाड्रा और कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

राहुल गांधी की ताजपोशी ऐसे वक्त में हो रही जब सोमवार को गुजरात विधान सभा का परिणाम आना है। दरअसल गुजरात का रण जीतने के लिए राहुल गांधी ने कड़ी मेहनत की है। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस भले ही गुजरात में सरकार न बना सके लेकिन वह वहां ठीक-ठाक प्रदर्शन करेगी। दूसरी ओर भाजपा ने कांग्रेस को रोकने के लिए पीएम मोदी का सहारा लिया है। जानकारों की मानें तो गुजरात में अकेले मोदी कांगे्रस पर भारी पड़ रहे हैं।

कुल मिलाकर राहुल गांधी के लिए आगे की राह असान नहीं है। कांग्रेस का बंटाधार होता दिख रहा है। मोदी युग के बाद कांग्रेस को लगातार झटकों का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस की राज्यों में सरकारे बहुत कम जगह बची है। किसी जमाने में कांग्रेस का जलवा पूरे देश में देखने को मिलता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। आलम तो यह है कि पांच राज्यों में ही उसकी सरकार बची हुई है। वहीं एक केंद्र्र शासित प्रदेश पॉन्डिचेरी की सत्ता पर काबिज़ है।

ऐसे में राहुल गांधी के लिए आगे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। दूसरी ओर बीजेपी लगातार कांग्रेस के युवराज पर हमलावर रही है। चुनाव के दौरान राहुल गांधी को लगातार निशाना बनाया गया है। राजनीति के कई जानकार मानते हैं कि राहुल गांधी भले ही कांग्रेस के बड़े नेता हो लेकिन राष्टï्रीय स्तर पर मोदी से उनकी तुलना नहीं की जा सकती है। दरअसल मोदी लगातार जीत का डंका बजा रहे हैं। अकेले दम पर वह भाजपा को नई राह दिखा रहे हैं।

 

मोदी के हर फैसले पर जनता की मोहर होती है। मोदी ने बड़ी चालाकी से बिहार की सत्ता दोबारा हासिल कर ली और कांग्रेस हाथ पे हाथ रखे बैठी रही। अब राहुल गांधी के लिए कांग्रेस को दोबारा जिंदा करने की सबसे बड़ी चुनौती है। 2019 में दोबारा सत्ता में आने के लिए राहुल गांधी को अभी से मेहनत करनी होगी क्योंकि मोदी के आगे सब फेल होते दिख रहे हैं। संगठनात्मक स्तर पर भी कांग्रेस पार्टी कमजोर हो चुकी है। राहुल गांधी को अब ग्रास रूट पर काम करना पड़ेगा।

बीजेपी को हराने के लिए राहुल गांधी को दूसरी पार्टी से तालमेल बैठाना होगा। अगले साल आठ राज्यों में चुनाव होना है। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश होगी कि वह उन राज्यों में दोबारा सत्ता का मजा चख सके। जिनमें एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक जैसे बड़े राज्य शामिल हैं। राहुल के लिए इन राज्यों में जीत हासिल करना बेहद चुनौतीभरा होगा। दूसरी ओर बीजेपी राहुल की छवि को हमेशा दूसरे रूप में पेश करती है यानी नॉन सीरियस लीडर के दौर पर उसे देखती है।

ऐसे में राहुल को अपनी छवि को और मजबूत करने की जरूरत होगी।उधर राहुल गांधी की बतौर कांग्रेस अध्यक्ष ताजपोशी को लेकर कांग्रेस मुख्यालय के बाहर जश्न का माहौल है। उनके समर्थन में नारे लगाए जा रहे है, पटाखे छोड़े जा रहे हैं, नाच-गाना हो रहा है। खुशी जाहिर करने के लिए मिठाइयां बांटी जा रही हैं। राहुल शनिवार को आधिकारिक तौर पर अपनी मां सोनिया गांधी से अध्यक्ष पद की बागडोर लेंगे, जिन्होंने (सोनिया) 19 सालों तक कांग्रेस की अध्यक्षता की। कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड के बाहर रंगबिरेगे परिधानों में सजे कलाकारों का एक समूह ड्रम बजा रहा है और पंजाबी भांगड़ा धुन पर नाच हो रहा है। हैदराबाद और राजस्थान के कलाकारों के समूह लोकनृत्य पेश कर रहे हैं।

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