अन्तर्राष्ट्रीय

भारत का आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए नई वैश्विक साझेदारी का आह्वान

संयुक्त राष्ट्र, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारत ने महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दीर्घकालिक निवेश और व्यापार में वृद्धि के जरिए कमजोर आर्थिक विकास को मजबूत करने के लिए नए स्तर पर वैश्विक साझेदारी का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र मिशन में भारत के प्रथम सचिव आशीष सिन्हा ने गुरुवार को आर्थिक और वित्तीय मामलों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र महासभा की समिति को बताया कि वैश्विक आर्थिक सुधार की गति धीमी है और इसकी विकास दर उम्मीद से कम है, जबकि जोखिम बरकरार हैं।

उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति में परिवहन, कृषि, ऊर्जा, बुनियादी ढांचा और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश समेत दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए नई वैश्विक साझेदारी जरूरी है।

उन्होंने कहा, आर्थिक विकास बढ़ाने और विकास को गति देने वाला निवेश बढ़ाने संबंधी नीतियां हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

विश्व बैंक ने जुलाई में इस साल के लिए केवल 2.7 प्रतिशत वैश्विक विकास दर का अनुमान लगाया था, जो कि पिछले साल के 2.4 प्रतिशत के अनुमान की तुलना में मामूली बढ़त है।

सिन्हा ने कहा, नई साझेदारी के तहत सतत विकास के वित्त पोषण के लिए अतिरिक्त संसाधनों को जुटाने के लिए प्रभावशाली तंत्र की पहचान भी की जानी चाहिए।

उन्होंने विकासशील देशों में विकास को गति देने के लिए व्यापारिक उदारीकरण और वैश्विक अर्थव्यवस्था के एकीकरण की सिफारिश की। उन्होंने इसके लिए समिति को अपने संबोधन में नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के मामले का उदाहरण दिया।

उन्होंने कहा, मुक्त व्यापार रोजगार सृजन और एसडीजी यानी संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य में योगदान का जरिया है।

उन्होंने कहा, विकासशील देशों को मुक्त, निष्पक्ष, नियम आधारित, गैर पक्षपातपूर्ण व्यापार और वित्तीय प्रणाली से महत्वपूर्ण लाभ होता है।

सिन्हा ने बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में भारत के समर्थन का आश्वासन दिया।

उन्होंने कहा, भारत मानता है कि दोहा विकास एजेंडे (डीडीए) के तहत परिकल्पित बहुपक्षीय बातचीत का उद्देश्य व्यापार प्रणाली में मौजूद असमानता को दूर करना है और इसे उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

सिन्हा ने इसके साथ ही कहा कि ग्रामीण बुनियादी ढांचे में सुधार जैसे अतिरिक्त कदम उठाने की जरूरत है जिससे ग्रामीणों की पहुंच वैश्विक बाजार तक हो सके।

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