राष्ट्रीय

भजन सोपोरी, राजेंद्र गंगानी की प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध

नई दिल्ली, 20 सितम्बर (आईएएनएस)| कौसर संगीत एवं नृत्य उत्सव में पंडित राजेंद्र प्रसन्ना, पद्मश्री वेंकटेश कुमार, संतूर वादक पंडित भजन सोपोरी व गुरु पंडित राजेंद्र गंगानी जैसे संगीत व नृत्य के दिग्गजों ने अपनी प्रस्तुति से उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम के दूसरे दिन बुधवार को पंडित भजन सोपारी ने राग जोग से कार्यक्रम की शुरुआत की। इसमें उन्होंने धुप्रद अंग में निबद्ध आलाप जोड़ प्रस्तुत कर दर्शकों को सहज ही अपने वादन से सम्मोहित कर लिया। इन्होंने अपने कार्यक्रम का समापन राग मिश्र पीलू में निबद्ध कजरी से किया। प्रसिद्ध कजरी ‘बरसन लागी’ सुनकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

इस मधुर संतूर वादन के बाद पंडित गंगानी ने मंच संभाला। उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत वंदना से की। इसके पश्चात इन्होंने शुद्ध कत्थक नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। जयपुर घराने के प्रसिद्ध तोड़े टुकड़े परन, चक्रदार, प्रमीलू, उपज, उठान, लड़ी का प्रदर्शन करके उन्होंने नृत्य के प्रति अपनी अद्भुत समझ को दर्शाया।

कार्यक्रम के पहले दिन सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक राजेंद्र प्रसन्ना व शास्त्रीय गायक पंडित वेंकटेश कुमार ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को ताली बजाने पर मजबूर किया। दिल्ली के सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक राजेंद्र प्रसन्ना ने अपने सुपुत्रों एवं शागिर्द राजेश प्रसन्ना एवं ऋषभ प्रसन्ना के साथ कार्यक्रम का शंखनाद किया। उन्होंने राग पूरीया कल्याण से शुरुआत की। उन्होंने विलंबित एक ताल के बाद द्रुत तीन ताल में गत एवं झाले की सुंदर प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

उन्होंने अपने कार्यक्रम का समापन राग मिश्र पीलू में एक धुन से किया।

इस मधुर प्रस्तुति के पश्चात पंडित वेंकटेश ने मंच संभाला। उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत राग मारु विहाग की बंदिश मन में रहो मोरा जियरा से की। इसके पश्चात उन्होंने रसिक की बंदिश रसिया हो न जान रे प्रस्तुत की, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।

प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय एमएल कौसर संगीत व नृत्य उत्सव का बुधवार को समापन हो गया।

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