राष्ट्रीय

गोरखालैंड के समर्थन में त्रिपुरा में प्रदर्शन

अगरतला | त्रिपुरा में जनजाति समुदाय की एक पार्टी ने पश्चिम बंगाल में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग के समर्थन में राज्य में 29 जगहों पर रैलियां निकालीं। वाम शासित त्रिपुरा में जनजातीय पाटीर्, इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने त्रिपुरा जनजाति क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के इलाकों में 29 जगहों पर रैलियां निकालीं व विरोध-प्रदर्शन किया।

आईपीएफटी के अध्यक्ष नरेंद्र चंद्र देबबर्मा ने यहां संवादाताओं से कहा, “हम केवल पश्चिम बंगाल में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग का ही समर्थन नहीं कर रहे, बल्कि गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के नेताओं व सदस्यों पर अत्याचारों की कड़ी निंदा करते हैं।”

आईपीएफटी पिछले पांच वर्षो से टीटीएएडीसी के तहत आने वाले इलाके को अलग कर नए राज्य के गठन को लेकर आंदोलन कर रही है। टीटीएएडीसी का गठन जनजातियों के राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक हितों की सुरक्षा के लिए संविधान की छठी अनुसूची के तहत सन् 1987 में हुआ था।

आईपीएफटी ने अपनी मांग के समर्थन में 10 जुलाई से राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 8 तथा रेल मार्गो पर यातायात बाधित करने की घोषणा की है। एनएच 8 त्रिपुरा को असम के रास्ते देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है।

राजनीतिक रूप से अहम टीटीएएडीसी त्रिपुरा के कुल 10,491 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का दो-तिहाई हिस्सा है, जहां राज्य की कुल 37 लाख आबादी में से 1,216,465 लोग (अधिकांश जनजाति समुदाय के) रहते हैं। त्रिपुरा की लगभग सभी पार्टियों ने आईपीएफटी की अलग राज्य की मांग का विरोध किया है।

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