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चीन ने रोकी मानसरोवर यात्रा, लौटने लगे यात्री

नई दिल्ली। नाथूला दर्रे के रास्ते होकर जाने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा फिलहाल रुक गई है। चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जा रहे भारत के करीब दो जत्थों को आगे जाने से रोक दिया है। माना जा रहा है कि आपसी संबंधों में आई कड़वाहट के चलते चीन ने जानबूझकर अड़ंगा लगाया है। करीब एक सप्ताह इंतजार करने के बाद यात्री शेरथांग और गंगटोक की ओर लौट गए। पहले जत्थे में 47 लोग हैं और दूसरे जत्थे में 44 लोग हैं। भारत ने इस मुद्दे को बीजिंग के समक्ष उठाया है।

यात्रियों के लिए यह परेशानी केवल गंगटोक में नहीं बल्कि दिल्ली में भी है। दरअसल कैलाश मानसरोवर के लिए जितने भी जत्थे जाते हैं वे दिल्ली से ही रवाना होते हैं। केन्द्र सरकार लिस्ट के मुताबिक यात्रियों को मानसरोवर यात्रा के लिए रवाना करती है। दिल्ली में दिल्ली सरकार इन यात्रियों के लिए रहने-खाने से लेकर बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम करती है।

दिल्ली सरकार की तीर्थयात्रा समिती के अध्यक्ष कमल बंसल की मानें तो उन्हें विदेश मंत्रालय से इस बात की जानकारी दी गई है कि अगले आदेश तक नाथूला के रास्ते कैलाश मानसरोवर की यात्री रोक दी गई है, ऐसे मे जो भी यात्री आने वाले हैं उन्हें फिलहाल नहीं आने की हिदायत दी जाए और जो आए हुए हैं उन्हें घर वापसी की व्यवस्था की जाए।

30 जून को जो तीसरा जत्था जाने वाला था उसके यात्री दिल्ली में ही फंसे हुए हैं। वैसे इसके पीछे कारण यह भी बताया जा रहा है कि तिब्बत में मानसरोवर की यात्रा के रास्ते में लैंडस्लाइड हुई है। लिहाजा अभी यात्रा नहीं कराई जा सकती।

कमल बंसल के मुताबिक तीर्थयात्रियों को फिलहाल गंगटोक में रखा गया है। सिक्किम टूरिज्म इन लोगों का पूरा ख्याल रख रही है। उन्होंने ये भी जानकारी दी कि चीन के इनकार को देखते हुए दिल्ली सरकार ने विदेश मंत्रालय से इस मामले में दखल देने की गुजारिश की है, लेकिन अभी तक तीर्थ यात्रा विकास समिति के पास विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई राहत वाली खबर नहीं आई है।

गौरतलब है कि असम में अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाले ब्रम्हपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल का प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन किया था। इस उद्घाटन के बाद चीन के रवैये में बदलाव आया है। इसके बाद चीन ने नाथू-ला के जरिए मानसरोवर यात्रा के लिए पहले से तय 8 जत्थों की अनुमति को घटाकर महज 7 जत्थों तक सीमिति कर दिया था। ऐसे में नाथू-ला के जरिए मानसरोवर यात्रा के लिए निकले पहले दो जत्थों को बॉर्डर से बैरंग वापस लौटा देने को भी संशय की निगाह से देखा जा रहा है।

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