व्यापार

उतार-चढ़ाव के बीच बाजार में आई तेजी 

मुंबई | बीते सप्ताह शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख के बीच तेजी देखी गई। खासतौर से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक के संसद में पारित होने से निवेशकों के बीच उत्साह का माहौल देखने को मिला। इसके अलावा विधानसभा चुनावों में केंद्र की सत्ताधारी दल को मिली मजबूती ने भी उत्साह बढ़ाने का काम किया। साथ ही चालू खाते के घाटे में सुधार के कारण भारतीय बाजार में देशी और विदेशी संस्थागत निवेशकों ने अधिक निवेश किया। उन्होंने न सिर्फ लार्जकैप फंड्स में निवेश किया, बल्कि मिडकैप और स्मॉलकैप फंड में भी निवेश बढ़ाया।
शुक्रवार (7 अप्रैल) को खत्म हुए कारोबारी सप्ताह में साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स में 86.11 अंकों या 0.29 फीसदी की वृद्धि हुई और यह 29,706.61 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी में 24.55 अंकों या 0.27 फीसदी की तेजी आई और यह 9,198.30 पर बंद हुआ। बीएसई के मिडकैप सूचकांक में 136.51 अंकों या 0.97 फीसदी की तेजी आई और यह 14,233 पर बंद हुआ। वहीं, स्मॉलकैप सूचकांक 350.17 अंकों या 2.44 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 14,681.42 पर बंद हुआ।
बीते सप्ताह सोमवार को बाजार की सकारात्मक शुरुआत हुई और सेंसेक्स 289.72 अंकों या 0.98 फीसदी की तेजी के साथ 29,910.22 पर बंद हुआ। मंगलवार को रामनवमी के कारण शेयर बाजार बंद रहे। बुधवार को सेंसेक्स 64.02 अंकों या 0.21 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 29,974.24 पर बंद हुआ। गुरुवार को सेंसेक्स में 46.90 अंकों या 0.16 फीसदी की गिरावट आई और यह 29,927.34 पर बंद हुआ।
बीते सप्ताह सेंसेक्स के जिन शेयरों में तेजी रही। उनमें प्रमुख रहे – एलएंडटी (6.90 फीसदी), रिलायंस इंडस्ट्रीज (6.55 फीसदी), मारुति सुजुकी (3.98 फीसदी), एनटीपीसी (1.05 फीसदी), गेल (2.68 फीसदी), अडाणी पोर्ट्स (2.28 फीसदी), टाटा स्टील (2.12 फीसदी), हिन्दुस्तान यूनीलीवर (1.29 फीसदी) और एक्सिस बैंक (2.65 फीसदी)।
सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे – आईसीआईसीआई बैंक (0.04 फीसदी), एचडीएफसी (0.25 फीसदी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (1.09 फीसदी), इंफोसिस (3.87 फीसदी), विप्रो (0.46 फीसदी), टीसीएस (0.16 फीसदी), सन फार्मा (3.21 फीसदी) और कोल इंडिया (3.02 फीसदी)।
इस दौरान देश के केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2017-18 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ऋण दर यानी रेपो रेट को 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है और कर्जमाफी के वादे को ‘व्यावहारिक जोखिम’ बताते हुए इसकी अलोचना की। वित्तवर्ष 2017-18 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए आरबीआई ने रेपो रेट या वाणिज्यिक बैंकों को दिए गए कर्ज पर अल्पकालिक ऋण दरों को यथावत रखा और कहा कि आंकड़ों में कोई बदलाव करने का फैसला करने से पहले वह व्यापक आर्थिक आंकड़ों के आने का इंतजार कर रहा है।
वहीं, लोकसभा में गुरुवार को काराधान कानून (संशोधन) विधेयक पारित हो गया। विधेयक सीमा शुल्क अधिनियम 1962, सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम 1975, केंद्रीय उत्पाद अधिनियम 1944, वित्त अधिनियम 2001, वित्त अधिनियम 2005 में संशोधन तथा कुछ कानून निरस्त करने के लिए पारित किया गया।
गुरुवार को ही एशियाई विकास बैंक ने कहा कि भारत की नोटबंदी का ‘मध्यम अवधि’ में अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसकी वजह बैंकों के कर्ज देने की क्षमता में वृद्धि और कुल जमा लागत में कमी आने से इनके मुनाफे में वृद्धि की संभावना है।
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कहा कि नोटबंदी के कारण साल 2016-17 के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 7.1 फीसदी हो गई थी, लेकिन वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था तथा अन्य सुधारों के कारण बने व्यापारिक माहौल तथा निवेशकों का विश्वास बढ़ने से वर्तमान वित्त वर्ष में विकास दर बढ़कर 7.4 फीसदी हो सकती है।
इससे पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, सकल घरेलू उत्पाद साल 2016-17 के दौरान घटकर 7.1 फीसदी हो गया था, जबकि साल 2015-16 में यह आंकड़ा 7.6 फीसदी था। रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशिया में वृद्धि दर 2017 में सात फीसदी तथा 2018 में 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है।

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