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शक्ति संतुलन का सिद्धांत न्यायपालिका पर भी लागू : सरकार

नई दिल्ली | केंद्र सरकार ने कहा है कि लोकतंत्र के अन्य स्तंभों की ही तरह न्यायपालिका भी शक्ति बंटवारे के सिद्धांत से बंधा हुआ है। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान अनुपूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा, “शक्ति का बंटवारा बाध्यकारी है। यह सभी स्तंभों के लिए बाध्यकारी है, इसलिए यह न्यायपालिका के लिए भी उतना ही बाध्यकारी है।”
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हाल के दिनों में चिकित्सा विज्ञान पाठ्यक्रमों में प्रवेश और क्रिकेट प्रशासन पर दिए गए फैसलों पर कुछ सदस्यों द्वारा चिंता जाहिर करने के बाद प्रसाद ने ये बातें कहीं।
प्रसाद ने यह भी दावा किया कि सर्वोच्च न्यायालय कानून निर्मित करने के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है, जो संसद का विशेषाधिकार है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर परमाणु बम के बटन को लेकर प्रधानमंत्री पर देश विश्वास कर सकता है तो उन पर कानून मंत्री के जरिए योग्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए विश्वास क्यों नहीं किया जा सकता। भाजपा के सांसद संजय जायसवाल ने सरकार से पूछा कि इन परिस्थितियों में संसद की सर्वोच्चता कैसे कायम रहेगी। प्रसाद ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों पर तो टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन केशवनाथ भारती बनाम केरल सरकार मामले में दिए गए फैसले के बारे में कहा कि शीर्ष अदालत ने राष्ट्र के स्तंभों के बीच शक्ति के बंटवारे की सीमा पार की।
प्रसाद ने कहा, “विधायिका कानून बनाएगी, कार्यपालिका उसका पालन करवाएगी और न्यायपालिका कानून की व्याख्या करेगी।”

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