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‘बोडो मुद्दे को नजरअंदाज किया तो पूरा पूर्वोत्तर अस्थिर कर देंगे’

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कोकराझार | बोडो नेताओं ने मंगलवार को चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अलग राज्य की उनकी मांग को लगातार नजरअंदाज किया तो वे पूरे पूर्वोत्तर को अस्थिर कर देंगे। बोडो नेताओं ने कहा कि यदि इस मुद्दे का कोई सौहार्द्रपूर्ण समाधान नहीं निकाला गया तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार को कानून-व्यवस्था की समस्या का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। बोडो समुदाय के लोग 1960 के दशक से ही असम में 60 लाख आबादी वाले अपने समुदाय के लिए एक अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। बोडो नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य की सरकारें समुदाय को किए अपने वादे पूरे नहीं कर पाई हैं।
बोडो नेताओं ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें समुदाय की मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही हैं। उन्होंने कहा कि उनके साथ अपने ही देश में दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह व्यवहार किया जा रहा है।ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) के अध्यक्ष प्रमोद बोडो ने कहा, “सरकार हमारे साथ बांग्लादेशियों या पाकिस्तानियों जैसा बर्ताव न करे। वे अपना मन बना लें कि हमसे बातचीत करना चाहते हैं या हमसे लड़ना चाहते हैं। वे हमें मूर्ख बनाने की कोशिश न करें।”
प्रमोद ने कहा, “हम बोडो के हितों के खिलाफ काम कर रहीं सभी ताकतों और अन्य स्थानीय समुदायों को चेतावनी देते हैं कि वे इस तरह की गतिविधियों से बाज आएं, यदि वे असम में शांति चाहते हैं तो।”
बोडो कार्यकर्ताओं ने कोकराझार में 10 मार्च से ही भूख हड़ताल शुरू कर रखा है और भूख हड़ताल पर बैठे कइयों में कमजोरी के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। इनमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग शामिल हैं।
भूख हड़ताल का नेतृत्व संयुक्त रूप से एबीएसयू, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड-प्रोग्रेसिव (एनडीएफबी-पी) और पीपुल्स जॉइंट एक्शन कमेटी फॉर बोडोलैंड मूवमेंट (पीजेएसीबीएम) कर रहे हैं।प्रमोद बोडो ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सोमवार को भूख हड़तालियों से आंदोलन समाप्त करने का आग्रह किया था, लेकिन वह उनकी मांग को लेकर राजनीतिक संवाद के लिए कोई समय सीमा नहीं बता पाए थे।
पद्मश्री कामेश्वर ब्रह्मा, बोडो साहित्य सभा के साहित्यकार टोरेन बोरो, और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के संस्थापक अध्यक्ष रंजन डिमरी सहित समुदाय के कई सारे प्रमुख सदस्य मंगलवार को भूख हड़ताल में शामिल हुए। डिमरी ने सरकार को चेतावनी दी कि वह बोडो और अन्य स्थानीय समुदायों को उनकी मांगों को लेकर कमतर न समझे। डिमरी ने कहा, “मैं आशा करता हूं कि सरकार स्थानीय समुदायों की ताकत को कमतर नहीं समझ रही है.. यदि वे ऐसा कर रहे हैं, तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे। हम सरकार से अपील करते हैं कि लंबे समय से लंबित बोडो के राजनीतिक मुद्दे के सौहाद्र्रपूर्ण समाधान के लिए उचित कदम उठाए जाएं।”
कोकराझार में मंगलवार को इस आंदोलन के समर्थन में एक विशाल रैली आयोजित की गई, जिसमें लगभग एक लाख लोगों ने हिस्सा लिया। इस बीच भूख हड़ताल पर बैठे कइयों की सेहत बिगड़ गई है, और उन्हें आरएनबी सिविल अस्पताल ले जाया गया है।

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